साहिबगंज. कुलीपाड़ा मोहल्ला में ऑनलाइन इस्लामी कट्टरता और सोशल मीडिया के दुरुपयोग से बढ़ते खतरों पर महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गयी, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुफ़्ती अनज़र हुसैन क़ासमी ने की. उन्होंने सोशल मीडिया से जुड़े जोखिमों, उसके व्यापक प्रभाव और विशेष रूप से युवाओं पर पड़ने वाले नकारात्मक परिणामों के बारे में विस्तार से चर्चा की. मुफ्ती कासमी ने कहा कि आज सोशल मीडिया योजनाबद्ध तरीके से समाज में भ्रम और तनाव फैलाने का माध्यम बन गया है. इससे न सिर्फ सामाजिक माहौल प्रभावित हो रहा है बल्कि धर्म और शरीयत की सही समझ भी कमजोर पड़ रही है. उन्होंने चिंता जतायी कि जिन लोगों के पास धार्मिक ज्ञान का आधार भी मजबूत नहीं है, वे भी संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बोलने लगे हैं, जिससे गलतफहमियां बढ़ रही हैं. उन्होंने युवाओं के व्यवहार पर भी चिंता व्यक्त की, जो यूट्यूब एवं फ़ेसबुक जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ वीडियो देखकर बहस-मुबाहिसा करने लगते हैं, जबकि उनके पास सही मार्गदर्शन, समझ और अनुभव की कमी होती है. इससे धर्म की गलत छवि बनती है. मुफ़्ती क़ासमी ने कई हालिया उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे युवक एक पोस्ट या टिप्पणी के कारण कानूनी मुश्किलों में फंस गए. उन्होंने विशेष रूप से सोशल मीडिया ग्रुप एडमिन्स को सावधानी बरतने की सलाह दी. अंत में उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि सोशल मीडिया का उपयोग जिम्मेवारी और समझदारी से करें, बिना जांचे किसी भी वीडियो या पोस्ट को आगे न बढ़ाएं, और धर्म से संबंधित ज्ञान के लिए योग्य विद्वानों का मार्गदर्शन अवश्य लें ताकि समाज में भ्रम या अशांति न फैले. इसमें प्रमुख रूप से मो कासिम शमीम इम्तियाज आदि मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

