साहिबगंज
लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की तैयारियां जोरों पर हैं. 25 अक्तूबर से नहाय-खाय यानी कद्दू-भात के साथ चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत होगी. इधर, छठ मइया के पारंपरिक गीतों की मधुर धुनों से शहर का वातावरण भक्तिमय हो उठा है. शहर समेत बोरियो, मंडरो, पीरपैंती, मिर्जाचौकी तथा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान और दान किया. सूर्य उपासना का यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. छठ महापर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, प्रकृति तथा सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है. व्रती कठोर नियमों और पवित्रता का पालन करते हुए निराहार रहकर सूर्योपासना करते हैं. लोक आस्था का उत्सव सामाजिक एकता, सादगी और भक्ति की ऐसी मिसाल प्रस्तुत करता है, जो हर वर्ष लाखों लोगों को जोड़ता है. पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि शनिवार को नहाय-खाय: गंगा जल से स्नान कर सात्विक आहार कद्दू, अरवा चावल की भात और चना दाल के साथ व्रत की शुरुआत होगी. रविवार को खरना होगा. दिनभर निर्जला उपवास के बाद देर शाम गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जायेगा. सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जायेगा. शुभ मुहूर्त शाम 05:10 से 05:58 बजे तक रहेगा. मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ व्रत का समापन होगा. शुभ मुहूर्त सुबह 05:33 से 06:30 बजे तक रहेगा.
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