साहिबगंज
संयुक्त किसान मोर्चा एवं केंद्रीय ट्रेड यूनियन की केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर बुधवार को साहिबगंज रेलवे स्टेशन चौक पर असगर आलम की अध्यक्षता में धरना दिया गया. प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम से विभिन्न मांगों को लेकर उपायुक्त को स्मार पत्र सौंपा गया. धरना के क्रम में श्यामसुंदर पोद्दार ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को संयुक्त ट्रेड यूनियन का सक्रिय समर्थन प्राप्त था. इस दौरान 736 किसानों के बलिदानों और 380 दिनों के लंबे संघर्ष ने कॉर्पोरेटपरस्त और जनविरोधी कृषि कानून को निरस्त करने के लिए मजबूर कर दिया था. हालांकि पांच साल बीतने के बाद अभी-अभी केंद्र सरकार द्वारा समिति गठित की गयी है लेकिन 9 दिसंबर 2021 को कर्ज राहत और बिजली स्रोत का निजीकरण न करने के लिए लिखित आश्वासनों को अभी तक लागू नहीं किया गया है. आज भारत का किसान पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर है. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नयी एमएसपी का फार्मूला के अनुसार धान 2369 रुपये की बजाय 1400 रुपए प्रति क्विंटल, कपास 7761 की जगह ₹6000, मक्का 2400 की जगह 1800 रुपए क्विंटल पर किसान को बेचना पड़ रहा है. अभी तक भारत के किसानों को 29 लाख छह हजार 320 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है और किसानों का एक रुपया भी कर्ज माफी नहीं किया गया है. जबकि भारत सरकार द्वारा पिछले 11 वर्षों में 16 लाख 41 हजार करोड़ रुपये कॉरपोरेट के कर्ज को माफ किया गया है. धरना में शरीफुल इस्लाम, गंगाधर यादव, मोहम्मद इश्तियाक, अमरनाथ चौधरी, अजय यादव, मोहम्मद फैसल, हरिलाल गुप्ता, अकबर अली, मोहम्मद दिलकश, श्यामसुंदर पोद्दार, इरशाद अली, शमीम अख्तर, शशिलाल मुर्मू, रोहित मिंस, राजकुमार पन्ना, मंटू उरांव, चमरू तुरी, निशा गुप्ता, फरहत खानम, रुखसाना खातून, समला बीवी, नीलू देवी, देवंती देवी, बसंती देवी, नीता देवी, क्रिया देवी, संध्या देवी, मंकी देवी, गीता देवी, लगी देवी सहित कई लोग उपस्थित थे.
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