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भगवान राम के जन्म और विवाह की कथा का भक्तों ने किया श्रवण

कथा का समापन करते हुए आरती का आयोजन किया गया.

मंडरो

सर्वधर्म समन्वय सनातन राम शिव भागवत परिवार की ओर से मिर्जाचौकी दुर्गा मंदिर प्रांगण में भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन अयोध्या से चलकर आये रामदास जी महाराज ने कथा प्रारंभ किया. कथा में भगवान राम के जन्म और विवाह पर कथा वाचन किया. उन्होंने श्रोताओं के बीच कथा सुनाते हुए कहा कि त्रेतायुग में जन्में भगवान श्री राम अयोध्या के महाराज दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे. लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न राम के भाई थे. भगवान राम की मां कौशल्या थी. शेष सुमित्रा और कैकयी के पुत्र थे. भगवान राम का विवाह मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री सीता के साथ हुआ था. लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला, शत्रुध्न की पत्नी श्रुतकीर्ति और भरत की पत्नी मांडवी थी. विवाह के बाद भगवान राम को राजा दशरथ ने रानी कैकयी के कहने पर 14 वर्ष के लिए वनवास पर भेज दिया था. वचन के अनुसार कैकेयी राजा दशरथ से कुछ भी मांग सकती थी तो रानी कैकेयी ने दासी मंदोदरी के उकसाने पर भरत को अयोध्या का राजा बनाने और राम को वनवास देने की इच्छा जतायी. पिता की आज्ञा का पालन करके भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ वन की ओर चले गये. कथा का समापन करते हुए आरती का आयोजन किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में दुर्गापूजा समिति के अध्यक्ष राजीव जायसवाल, कोषाध्यक्ष श्रीनाथ चौधरी, उदघोषक बालेश्वर प्रसाद भगत के अलावा बद्री भगत, प्रमोद गुप्ता, रुदेश्वर गुप्ता, शंभू जायसवाल, राज किशोर मंडल, पूजा कुमारी एवं निर्मल बाबा अयोध्या जी बढ़-चढ़कर जुटे हुए हैं.

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