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ओके… अमलादही में 100 वर्षों से हो रही आदिशक्ति मां काली की पूजा -कालीपूजा पर मेला व सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी होता है आयोजन09 नंवबर फोटो संख्या- 02 व 03 पाकुड़ से जा रहा हैकैप्सन- आदिशक्ति काली मां का मंदिर व मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा प्रतिनिधि, महेशपुरप्रखंड मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित आमलादही गांव के आदिशक्ति काली मंदिर में विगत सौ वर्षों से मां काली की पूजा हो रही है. ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार इस मंदिर में मां काली की पूजा-अर्चना सर्वप्रथम विश्वनाथ भगत ने शुरू की थी. उसके बाद जवाहरलाल भगत, रामनाथ भगत, प्रेमलाल भगत, द्वारिकानाथ भगत, राजकुमार भगत आदि ग्रामीणों ने पूजा-अर्चना की जिम्मेवारी संभाली. गांव के बास्की भगत, संतोष भगत, मनोज भगत, संजय भगत, उत्तम भगत, अशोक भगत आदि ने बताया कि शुरूआत से लेकर 20 वर्ष पहले तक यहां मिट्टी से निर्मित काली मां की प्रतिमा की स्थापना कर पूजा की जाती थी. परंतु 20 साल पहले जिले के पाकुड़िया प्रखंड निवासी शिवदत्त भगत ने मां काली की शिलामूर्ति इस मंदिर में स्थापित करायी. मंदिर में निशि पूजा के अवसर पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ इकट्ठी होती है. काली पूजा के अवसर पर आमलादही गांव में मेला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. पुराने समय का छोटा सा मंदिर, समय बीतने के साथ वर्तमान में श्रद्धालुओं के सहयोग से भव्य मंदिर का रूप ले चुका है. यहां स्थापित मां काली की शिलामूर्ति आकर्षण का केंद्र बना है. जिससे मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. बताया गया कि मां आदिशक्ति काली के दर पर मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है. श्रद्धालुओं की मां के प्रति अटूट विश्वास का परिणाम है कि काली मंदिर की भव्यता एवं भक्तों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

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