खलारी. मंगलवार को ग्राम हेंजदा में हेंजदा, डेंबुआ, झुलडीहा व कुटकी के रैयतों की विशेष बैठक की गयी. अध्यक्षता बालेश्वर उरांव ने की. बैठक में उपस्थित ग्रामीणों ने सरकार व सीसीएल के खिलाफ अपनी गहरी नाराजगी और चिंता जाहिर की. ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 1990 में सरकार द्वारा अधिग्रहण एवं विकास अधिनियम 1957 (सीबीए एक्ट 1957) के तहत उनके गांवों के अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन किया गया था. उस समय बुजुर्गों को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गयी थी. ग्राम सभा भी नहीं बुलायी गयी. इसके चलते झूलडीहा, लुकईया, सरैया, हेंजदा, कुटकी, सिद्धालू, करो आदि कोयला धारक क्षेत्र पिछले 35 वर्षों से सरकारी विकास व लाभ से वंचित हैं. वर्ष 2006-07 में सीसीएल के एनके एरिया प्रबंधन ने पुरनाडीह परियोजना शुरू करने की बात करते हुए ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि कंपनी उनके जीवन स्तर सुधारने, रोजगार, मुआवजा और पुनर्वास में मदद करेगी. 25 वर्षों के लिए जमीन लीज पर ली जायेगी. लेकिन यह आश्वासन सिर्फ छलावा साबित हुआ. डेंबुआ के लोगों को नौकरी मिली, जबकि मुआवजा के नाम पर मात्र 7000 रुपए प्रति एकड़ का भुगतान किया गया. हेंजदा और कुटकी के लोगों के साथ भी ऐसा ही हुआ. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि 2009-10 में कंपनी ने पेड़, बंदोबस्त भूमि और रैयती भूमि का मुआवजा दिया था. लेकिन आज जब बेहतर पुनर्वास और मुआवजा की मांग की जा रही है, तो कंपनी केवल रैयती भूमि का मुआवजा देने की बात कर रही है. इससे परियोजना का विस्तार भी बाधित हो रहा है. संडे पीएचडी (पेड होलीडे) में कटौती की जा रही है. ग्रामीणों का कहना है कि नौकरी-मुआवजा देने के बाद उनकी जमीन का म्यूटेशन कंपनी के नाम से हो जायेगा, जबकि पहले उन्हें बताया गया था कि केवल लीज पर लिया जा रहा है. इससे उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. वे पहचानहीन हो जायेंगे. पुनर्वास के लिए मिलने वाली मात्र पांच डिसमिल जमीन पर पीढ़ी दर पीढ़ी का जीना संभव नहीं है. जाति, आवासीय प्रमाण पत्र कैसे बनेगा, यह भी एक बड़ी चिंता है. इस गंभीर समस्या को लेकर ग्रामीण उग्र होकर आंदोलन की रणनीति बनाने में जुटे हैं. सभी ने कंपनी और सरकार की नीतियों के खिलाफ सख्त शब्दों में विरोध जताया और बेहतर न्याय दिलाने की दृढ़ प्रतिज्ञा की. ग्रामीणों ने सरकार व सीसीएल से तुरंत हस्तक्षेप कर उनकी मांगें पूरी करने की अपील की है, ताकि उनके जीवन व भविष्य को सुरक्षित किया जा सके. बैठक में झुबा उरांव, बालेश्वर उरांव, महेंद्र उरांव, त्रिभुवन गंझू, भारत गंझू व सुरेंद्र टोप्पो ने संबोधित किया. रामप्रसाद गंझू, प्रकाश गंझू, ईश्वर टोप्पो, मुकेश उरांव, विकास उरांव, सुमित उरांव, छोटू उरांव, राहुल उरांव, नरेश गंझू, भिमन गंझू, मनोज गंझू, प्रदीप गंझू, आदित्य गंझू, संदीप गंझू, जगन गंझू, मनोज गंझू, वीरेंद्र गंझू, कामेश्वर उरांव, भुवनेश्वर गंझू, संतोष गंझू, सहजू गंझू, रामसेल उरांव, मोहन गंझू, बजे उरांव, कालेश्वर गंझू, सुमिता देवी, झांवा देवी, आशा देवी, लालो देवी, कालसो देवी, सुनीता कुमारी, गुड़िया कुमारी, अंजली कुमारी, धुबरी देवी, तितरी देवी, बुधनी, गांधारी देवी, बरसी देवी, किरण उरांव, संजू देवी, रातों उरांव, उपेंद्र उरांव, रोहित गंझू, अर्जुन उरांव आदि उपस्थित थे.
25 वर्षों के लीज पर जमीन लेने की बात बतायी, अब किया जा रहा नामांतरण
बेहतर मुआवजा-पुनर्वास की मांग को लेकर उग्र आंदोलन की तैयारी
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