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Ranchi News : आयुष्मान योजना के डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर की डिग्री की चल रही जांच

फर्जी एमबीए डिग्री के जरिये योजना में डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर पद पर नियुक्ति का आरोप

वरीय संवाददाता, रांची. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने आयुष्मान भारत योजना के डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर आशीष रंजन के ठिकानों से 16.50 लाख रुपये जब्त किये हैं. वह रांची सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना में पदस्थापित हैं. उसके ठिकानों से डिजिटल डिवाइस, लैपटॉप सहित गड़बड़ी से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किये गये हैं, जिसकी जांच की जा रही है. आशीष रंजन पर आयुष्मान घोटाले को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और गलत तरीके से इंसेंटिव लेने का भी आरोप है. पूर्व में छह दिसंबर 2024 को झारखंड स्टेट आरोग्य सोसायटी के निदेशक अबु इमरान से आशीष रंजन के गलत कार्यों को लेकर शिकायत की गयी थी. यह शिकायत बरियातू के विजन हाउस आई फाउंडेशन की ओर से भ्रष्टाचार के मामलों में की गयी थी. बताया जा रहा है कि छोटे अस्पतालों और अर्हता नहीं रखने वाले अस्पतालों को आयुष्मान योजना से जोड़ने के लिए राशि की वसूली की जाती थी. सरकार के अवर सचिव धीरंजन प्रसाद शर्मा ने भी पूरे मामले की जांच की कार्यवाही को आगे बढ़ाया था. इस मामले में विभाग की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी फिलहाल आशीष रंजन की शैक्षणिक योग्यता और को-ऑर्डिनेटर के पद पर नियुक्ति मामले की विभागीय स्तर पर जांच जारी है. आशीष रंजन की नियुक्ति रांची सदर अस्पताल के पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर विजय विहारी प्रसाद के कार्यकाल में 2019 में हुई थी. आयुष्मान भारत योजना में डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदक के पास एमबीए की डिग्री होने की बाध्यता थी. सरकार को मिली शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि आशीष रंजन की एमबीए की डिग्री फर्जी है. उसने दरभंगा के इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस से एमबीए की डिग्री हासिल करने से संबंधित सर्टिफिकेट पेश किया था. इडी द्वारा जब्त 18.50 लाख में से 16.50 लाख रुपये आयुष्मान योजना के डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर के ठिकानों से मिले. डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर का वेतन मात्र 50 हजार रुपये है. इस राशि की बरामदगी आयुष्मान भारत योजना में अवैध वसूली का हो सकता है. लाखों का इंसेंटिव भी गलत तरीके से वसूला :::: आयुष्मान योजना में डॉक्टर और मेडिकल कर्मियों को अपनी बेहतर सेवा के बदले बतौर प्रोत्साहन राशि का इंसेंटिव प्राप्त होता है, लेकिन यह इंसेंटिव चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों को ही मिलती है. आशीष रंजन ने उस पैनल में खुद का नाम उसमें जुड़वाया और इस तरह 50 हजार वेतन के अलावा हर महीने 40 से 50 हजार बतौर इंसेंटिव हासिल करता रहा. पिछले महीने इसने 52000 की इंसेंटिव हासिल की. आयुष्मान के काम में जिला नोडल ऑफिसर डॉ अखिलेश कुमार झा और सहयोगी कुंदन कुमार झा की भी अहम भूमिका रही. इस तरह इसने लाखों रुपये का इंसेंटिव हासिल किया.

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