प्रवीण मुंडा, रांची. देशभर में लगभग 750 आदिवासी समुदाय हैं. हर समुदाय के पास अपनी विशिष्ट कला है. कुछ जनजातियों ने चित्रकला की अपनी खास शैली विकसित की है, तो कुछ शिल्पकला में माहिर हैं. डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) झारखंड की जनजातीय कला का प्रचार-प्रसार करने के साथ-साथ रोजगार के साथ जोड़ने के अनूठे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत जनजातीय समुदाय से आनेवाले विशेषज्ञ कला से संबंधित ऑनलाइन प्रशिक्षण देंगे. प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थी इस आर्ट के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ पायेंगे. संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में संबंधित कला से जुड़े आर्टिस्टों को ही ट्रेनर बनाया जायेगा. फिलहाल सोहराई पेंटिंग और डोकरा आर्ट का ऑनलाइन प्रशिक्षण होगा. सोहराई झारखंड की विख्यात जनजातीय चित्रकला है. वहीं, डोकरा शिल्प से बनीं तरह-तरह की कलात्मक वस्तुएं भी काफी प्रसिद्ध हैं. मूल रूप से यह प्रोजेक्ट मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स का है. इसमें देशभर के सभी टीआरआइ शामिल होंगे. सभी टीआरआइ अपने-अपने यहां की कला को कोर्स के रूप में शामिल करने के लिए काम कर रहे हैं. अभी तक लगभग 35 कोर्स का चयन किया गया, जिन्हें ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जायेगा. इनमें से दो झारखंड से हैं. कलाकारों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों के प्रोफेसर कोर्स डिजाइन करने की प्रक्रिया में जुटे हैं. जब यह लांच होगा, तो लोग दुनिया के किसी कोने से ऑनलाइन माध्यम से कोर्स कर इन कला का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे. इससे जनजातीय कला को वैश्विक पहचान मिलेगी. वहीं, इनसे जुड़े लोगों की आजीविका का स्रोत बढ़ेगा. सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी दिया जायेगा. सोहराई के प्रशिक्षण के लिए साहेबराम टुडू विषय के एक्सपर्ट व जयश्री इंदवार मास्टर ट्रेनर होंगे. उसी तरह डोकरा आर्ट में माडी लिंडा एक्सपर्ट और बंदी उरांव ट्रेनर होंगे. लांचिंग के बाद झारखंड से दूसरी कलाओं को भी कोर्स में जोड़ा जायेगा. इनमें काष्ठ कला, बंबू कला, माटी कला सहित अन्य शामिल हैं.
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