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बेमौसम बारिश ने झारखंड के किसानों की बढ़ाई चिंता, हल्की बूंदा- बांदी के साथ छाये रहे बादल, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Jharkhand weather news : चक्रवाती तूफान निवार का असर शुक्रवार (27 नवंबर, 2020) को झारखंड के कई जिलों में देखने को मिला. राजधानी रांची में सुबह 10 बजे के बाद हल्की बूंदा-बांदी हुई, तो लातेहार जिला में भी तापमान काफी नीचे गिर गया. चतरा में भी बेमौसम बारिश खलिहानो में रखे धान भींग गये. इससे किसान काफी नाराज दिखें.

Jharkhand weather news : रांची/ लातेहार/ चतरा : चक्रवाती तूफान निवार का असर शुक्रवार (27 नवंबर, 2020) को झारखंड के कई जिलों में देखने को मिला. राजधानी रांची में सुबह 10 बजे के बाद हल्की बूंदा-बांदी हुई, तो लातेहार जिला में भी तापमान काफी नीचे गिर गया. चतरा में भी बेमौसम बारिश खलिहानो में रखे धान भींग गये. इससे किसान काफी नाराज दिखें.

लातेहार में गिरा तापमान

लातेहार जिला मुख्यालय समेत अन्य प्रखंडों में अहले सुबह से ही बादल छाये रहे. चक्रवाती तूफान निवार के कारण दिनभर हल्की बूंदा- बांदी होती रही. इस कारण जिले का तापमान भी काफी गिर गया. शुक्रवार को जिले में अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 12 से 9 डिग्री सेल्सियस आंका गया. इस बूंदा-बांदी से खेतों में खड़ी एवं खलिहानों में रखे धान की फसल को काफी नुकसान हो रहा है. मालूम हो कि इनदिनों जिले में धनकटनी जोरों पर है. किसान धान काटकर अपने- अपने खलिहानों में रख रहे हैं1 ऐसे में असमय बारिश होने से किसान परेशान हो गये.

मालूम हो कि गत 19 एवं 20 नवंबर, 2020 को भी जिले में बारिश हुई थी. जिले में अभी तक मात्र 30 प्रतिशत ही धान की कटाई हो पायी है, जबकि मात्र 20 प्रतिशत किसानों ने धानों की दौनी की है. इस वर्ष जिले में कुछ समय के अंतराल पर बारिश होने से धान की फसल अच्छी हुई है.

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बारिश की वजह से धान की फसल को नुकसान होने की संभावना है. इस कारण किसानों की चिंता बढ़ गयी है. खेत एवं खलिहानों में रखे धानों को किसान तिरपाल से ढक कर बचाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन, अधिकांश किसानों के पास तिरपाल एवं प्लास्टिक की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में मजबूर किसानों ने धान की फसल को भगवान के भरोसे खेतों में ही छोड़ दिया है.

क्या कहते हैं किसान

किसान शंभू लाल ने कहा कि एक तरफ धान की कटाई जोरों पर है, तो दूसरी ओर बेमौसम बारिश से किसानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है. बेमौसम बारिश के कारण खेतों में नमी अधिक दिन तक बनी रहेगी. इससे रबी फसल की बुआई भी प्रभावित होगी. किसान महेंद्र प्रसाद ने कहा कि शुक्रवार को बारिश से धान कटनी का कार्य प्रभावित हुआ है. यह बारिश अगर आगे भी होती रही, तो किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.

अधिक बारिश से चना, सरसों व आलू की खेती को होगा नुकसान : रामाशंकर सिंह

इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी रामाशंकर सिंह ने कहा कि तामिलनाडू से उठा चक्रवाती तूफान निवार का असर अभी जिले में आंशिक रूप से है. उन्होने कहा कि 10 से 20 मिलीमीटर बारिश अधिक हो गयी, तो धान की फसल को काफी नुकसान होगा. अभी जितनी बारिश हुई है, उससे रबी की फसल को फायदा है, लेकिन अधिक बारिश होने पर चना और सरसों के फसल प्रभावित होंगे. इसके अलावा आलू की खेती को भी नुकसान होगा.

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बेमौसम बारिश ने झारखंड के किसानों की बढ़ाई चिंता, हल्की बूंदा- बांदी के साथ छाये रहे बादल, पढ़ें पूरी रिपोर्ट 2
चतरा में बेमौसम बारिश से खलिहानों में रखा धान भींगा, किसान नाराज

चतरा जिले के इटखोरी प्रखंड में भी बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खेत- खलिहानों में रखा धान भींग गया है. अब तक धान अधिप्राप्ति केंद्र (क्रय केंद्र) नहीं खुलने से किसान नाराज हैं. किसानों ने कहा कि क्रय केंद्र खुलता, तो नुकसान नहीं होता. हमलोग भगवान भरोसे हैं. सरकार द्वारा भंडारगृह की भी व्यवस्था नहीं कि गयी है, ताकि धान को सुरक्षित रखा जा सके. प्रखंड के किसानों को राज्य सरकार हासिये पर छोड़ दिया है.

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सरकार के कुव्यवस्था पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कृषक खीरू यादव ने कहा कि इस साल 20 क्विंटल धान उपजाया है. उसमें 10 क्विंटल बेचने के लिए लिए रखे हैं. सभी धान खलिहान में रखा हुआ है. अचानक बारिश होने से धान भींग गये होंगे. क्रय केंद्र खुलने के इंतजार में व्यापारी के पास भी नहीं बेच सके. बारिश से काफी नुकसान हुआ है. सरकार का नीति सही नहीं है.

तुलसी गोप ने कहा कि हमने 80 क्विंटल धान उपज किया है. उसमें से 50 क्विंटल बेचना है, लेकिन अब तक क्रय केंद्र नहीं खुलने से काफी नुकसान हुआ है. घर में रखने का साधन नहीं होने के कारण खलिहान में पड़ा है. सरकार के आश्वासन के कारण व्यापारियों के पास नहीं बेच रहे हैं. पिछले साल भी क्रय केंद्र नहीं खुला था. इस साल भी कम उम्मीद है. किसानों के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है. समय पर क्रय केंद्र खुलता, तो खलिहानों में धान नहीं भींगता. किसानों को झूठा आश्वासन देकर रखा जाता है. बेमौसम बारिश से खलिहान में रखा धान भींग गया.

महिला कृषक सबिता देवी ने कहा कि बारिश से बचाने के लिए धान को खलिहान से घर लेकर जा रहे हैं. इस साल 30 क्विंटल धान हुआ है. सरकार धान खरीदती तो बेचते. अभी तक क्रय केंद्र खुलने की कोई सूचना नहीं है. जिस उम्मीद से धान का उपज किये थे, अब उतना ही नुकसान उठाना पड़ रहा है. खलिहान में रखा धान भींग रहा है. घर में भी रखने की जगह नहीं है. गीता देवी ने कहा कि इस साल 40 क्विंटल धान उपजाये हैं. कुछ खाने के लिए रखते हैं और कुछ बेचते हैं. बारिश से हमलोग काफी चिंतित हैं. खलिहान में रखा धान भींग गया है. तिरपाल से ढककर बचाने की कोशिश की जा रही है.

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करनी के किसान विनोद दांगी ने कहा कि इस साल हमने 50 क्विंटल धान उपजाये हैं. बारिश होने के कारण खेत एवं खलिहान में रखा धान भींग गया है. क्रय केंद्र होता, तो धान बेचकर चिंतामुक्त हो जाते, लेकिन बारिश से चिंता बढ़ा दी है. इतना धान रखने की व्यवस्था भी नहीं है. सरकार के भरोसे व्यापारियों के पास भी नहीं बेच सके.

Posted By : Samir Ranjan.

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