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Ranchi News : उम्मीद बरकरार, बस कदम उठाये सरकार

झारखंड में वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं का धैर्य अब जवाब देने लगा है.

युवाओं की उम्मीद. ठोस नीति और कदम उठाये सरकार, नौकरी की आस में फिसल रही उम्र

सरकार की नीतियों और देरी से परेशान युवाओं ने स्टेट लाइब्रेरी में हुई परिचर्चा में रखी अपनी बात

राज्य गठन के 25 साल बाद भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल, परिणाम लटके, बहालियां रद्द

रांची. झारखंड में वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं का धैर्य अब जवाब देने लगा है. सरकार की नीतियों और अनियमित परीक्षाओं से परेशान छात्रों का दर्द अब खुलकर सामने आ रहा है. छात्रों ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. न समय पर परीक्षा होती है, न परिणाम जारी होते हैं. कई परीक्षाओं की आंसर-की तीन-चार बार जारी हो चुकी है, फिर भी परिणाम घोषित नहीं हुआ है. ‘प्रभात खबर’ ने सोमवार को राज्य के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर स्टेट लाइब्रेरी में एक परिचर्चा का आयोजन किया, जिसमें छात्रों ने बेबाकी से अपनी बातें रखीं.

प्रतियोगी परीक्षाओं की अनियमितता से बढ़ा आक्रोश

छात्रों का कहना है कि राज्य का सिलेबस ऐसा है कि वे अन्य राज्यों की परीक्षाओं में भी भाग नहीं ले सकते. विद्यार्थियों ने कहा कि उन्होंने वर्षों तक पढ़ाई में मेहनत की, लेकिन अब लगता है कि गलती कर दी. सबसे बड़ा दुख यह है कि उम्र सीमा पार हो रही है और अवसर हाथ से निकलते जा रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि सरकार केवल घोषणाएं करती है, लेकिन अमल कहीं दिखाई नहीं देता. हालांकि युवाओं को उम्मीद है कि सरकार जल्द ठोस कदम उठायेगी.

विद्यार्थियों ने बतायी अपनी पीड़ा

अभिनव राज : टेक्निकल कॉलेजों पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं. बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए. युवाओं के लिए रोजगार के अवसर तैयार करने होंगे. झारखंड में तकनीकी क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. भविष्य में यही युवा स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं और दूसरों को रोजगार दे सकते हैं.गौतम महतो : नयी शिक्षा नीति में क्या है और यहां क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर स्पष्टता नहीं है. जानकारी के अभाव में पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सिलेबस समय पर पूरा नहीं हो रहा और शिक्षकों की भारी कमी है. 25 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र पर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया. परीक्षाएं देर से हो रही हैं और छात्रवृत्ति की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है.

प्रतीक : झारखंड बने 25 साल हो गये, लेकिन रोजगार के मामले में आज भी युवा भटक रहे हैं. कंप्यूटर शिक्षक की बहाली में बीएड को अनिवार्य किया गया है, जबकि ऐसा कहीं नहीं है. कई बहालियों में नियमों की अनदेखी की जा रही है, जिससे अनेक युवा वंचित रह जा रहे हैं. कक्षपाल की बहाली 12 साल बाद निकली, लेकिन आवेदन लेने के तीन महीने बाद ही रद्द कर दी गयी.हर्षित सिंह : झारखंड में युवाओं के लिए बेरोजगारी और शिक्षा अहम मुद्दे हैं. 25 वर्षों में विकास तो हुआ, लेकिन शिक्षा के स्तर पर विशेष कार्य नहीं हुआ. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र एग्जाम कैलेंडर के जाल में फंस कर रह जाते हैं. उत्पाद सिपाही की बहाली का परिणाम आज तक जारी नहीं हुआ. दरोगा, कक्षपाल, सिपाही सहित अन्य बहालियां समय पर होनी चाहिए.

रोहित राज : दिन-रात मेहनत कर तैयारी करते हैं. लेकिन, नयी शिक्षा नीति के तहत तैयार सिलेबस और झारखंड के सिलेबस में समानता नहीं है. यहां के छात्र इसी कारण पीछे रह जाते हैं. सिलेबस में एकरूपता जरूरी है, नहीं तो युवाओं का करियर बर्बाद हो जायेगा. झारखंड में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करना अब गलती या गुनाह जैसा महसूस होने लगा है.मंटू कुमार : सरकार की नीति पूरी तरह असफल है. विद्यार्थियों की जिज्ञासा समाप्त होती जा रही है. छात्रवृत्ति पिछले चार महीने से रुकी हुई है, जिससे कई छात्र कक्षाओं में भाग नहीं ले पा रहे हैं. लेकिन, कोई सुनने वाला नहीं है. शिक्षा के मामले में झारखंड पिछड़ा हुआ है, जिसके कारण युवा पलायन कर रहे हैं. इंटर्नशिप तक के लिए उन्हें राज्य से बाहर जाना पड़ता है.

आनंद प्रकाश भगत : झारखंड फॉर्मेसी परीक्षा 2023 के लिए आवेदन भरा गया था, लेकिन परीक्षा नहीं हुई. एक-एक ड्रग इंस्पेक्टर को दस-दस जिलों की जिम्मेदारी दी गयी है, ऐसे में वे काम कैसे करेंगे? सरकार बहाली निकाले तभी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को अवसर मिलेगा. सरकार को उच्च शिक्षा, छात्रवृत्ति, रोजगार और आइटी क्षेत्र के विकास पर ध्यान देना चाहिए.आयुष रंजन : झारखंड के साथ बने अन्य राज्यों में शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम हुआ है, लेकिन झारखंड पीछे रह गया है. सरकार की नीति निष्प्रभावी साबित हो रही है. आवेदन निकलते हैं और फिर रद्द कर दिये जाते हैं. हमारी उम्र बढ़ रही है लेकिन समय पर बहाली नहीं हो रही. हमारा भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है.

बबलू प्रजापति : शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता है. एक परीक्षा का परिणाम आने में एक से दो साल लग जाते हैं. हम मध्यम वर्गीय परिवारों से आते हैं, घर का भी दबाव रहता है. आखिर कितने दिन बहाली का इंतजार करें? एग्जाम कैलेंडर का पालन नहीं किया जा रहा. सरकार केवल घोषणाएं करती है, लेकिन उन पर अमल नहीं होता.रवि मंडल : पिछले 25 वर्षों में रोजगार के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह विफल रही है. वन क्षेत्र पदाधिकारी की पहली बार बहाली निकाली गयी. वर्ष 2024 में परीक्षा हुई, चार बार आंसर-की जारी की गयी, फिर भी परिणाम अब तक नहीं निकला. हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ. युवाओं को रोजगार चाहिए और वे इसके लिए मेहनत करने को तैयार हैं.

अजय कुमार ठाकुर : कॉलेजों में जितने शिक्षक होने चाहिए, उतने नहीं हैं. इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सिलेबस समय पर पूरा नहीं होता और यह अन्य राज्यों में कारगर भी नहीं है. यहां पढ़ाई करने के बाद अफसोस होता है. सरकार को रोजगार पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह युवाओं के भविष्य का सवाल है.अभिषेक : उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है. रोजगारपरक शिक्षा नीति लागू की जानी चाहिए. आइटी सेक्टर के विकास पर बल देना होगा. छात्रों के पलायन को रोकने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता सुधारनी होगी. साथ ही छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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