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Ranchi News : ऑनलाइन गेम से जिंदगी हैक

भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में साल-दर-साल 20% की ग्रोथ हो रही है. भारत ऑनलाइन गेमिंग कम्युनिटी का दूसरा सबसे बड़ा देश हो गया है.

साइबर क्रिमिनल्स अब गेमिंग के जरिए कर रहे आइडी हैकिंग, कार्ड क्लोनिंग और ब्लैकमेलिंग

अक्षय कुमार की 13 साल की बेटी के साथ होने वाला था साइबर क्राइम, जान लें ऑनलाइन धोखाधड़ी और क्राइम से बचने के जरूरी टिप्स

मुन्ना सिंह,

रांची की रिपोर्ट

भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में साल-दर-साल 20% की ग्रोथ हो रही है. भारत ऑनलाइन गेमिंग कम्युनिटी का दूसरा सबसे बड़ा देश हो गया है. पहले नंबर पर चीन है. आंकड़ों के मुताबिक, देश में करीब 50 करोड़ से ज्यादा गेमर्स हैं. ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने जितनी तेजी से बच्चों और युवाओं को अपनी चपेट में लिया है, उतने ही इससे जुड़े साइबर फ्राॅड भी तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके मकड़जाल में फंसकर युवा अपना कीमती समय तो गवां ही रहे हैं, अपनी कमाई से भी हाथ धो रहे हैं. साइबर पुलिस अधिकारी के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग के जरिए स्कैमर्स न सिर्फ लोगों की आइडी, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की डिटेल चोरी करने में कामयाब हो रहे हैं, बल्कि स्कैमर साइबर बुलिंग और ब्लैकमेलिंग तक कर रहे हैं. ऑनलाइन गेमिंग के समय चैट करने का भी ऑप्शन होता है. इन गेमिंग प्लेटफाॅर्म पर कई अनजान लोग एक-दूसरे के साथ गेम खेलते हैं. ऐसे में कई बार युवा अपनी गाढ़ी कमाई डूबा देते हैं या लड़कियां हरासमेंट की शिकार हो जाती हैं. पिछले दिन उत्तर प्रदेश में ऐसा गैंग पकड़ा गया जो युवाओं को कम पैसे लगाकर ज्यादा जीतने का लालच देकर फंसाता था. गेम की हार-जीत गैंग के हाथ में होती थी.

अक्षय कुमार की बेटी से मांगी न्यूड फोटोज

ऑनलाइन गेमिंग में कई बार बच्चे उत्पीड़न का शिकार हो सकते हैं. हाल में ही बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार ने अपनी बेटी के साथ हुई एक घटना का जिक्र किया. फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि उनकी बेटी ऑनलाइन वीडियो गेम के जरिये साइबर क्राइम की शिकार हुई. उन्होंने बताया कि बेटी को एक मैसेज आया कि मेल है या फीमेल, बेटी ने जवाब दिया फीमेल, तो एक और मैसेज आया. क्या आप आपत्तिजनक फोटो भेज सकती हैं. यह घटना मेरी बेटी के साथ हुई. इसके बाद उसने सब कुछ बंद कर मेरी पत्नी को जानकारी दी.

ऐप के जरिए 6000 करोड़ के बिजनेस का खुलासा

महादेव ऐप का नाम तो आपने भी सुना होगा. महादेव वेटिंग ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया ऐप था. इस पर साइन इन करने वाले यूजर्स पोकर, चांस गेम्स और कार्ड गेम्स जैसे कई गेम खेल सकते थे. इस ऐप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों में सट्टेबाजी भी की जाती थी. इस ऐप को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए ऑनर ने सोशल मीडिया मार्केटिंग और इन्फ्लुएंसर का भी सहारा लिया था. यही कारण है कि गेमिंग ऐप से हो रहे फर्जीवाड़े को देखते हुए गृह मंत्रालय की साइबर विंग ने अलर्ट रहने को कहा है. छत्तीसगढ़ से शुरू हुए इस सट्टा कारोबार की नकेल तो वैसे दुबई में बैठे लोगों के पास थी, लेकिन बिजनेस का ज्यादातर पैसा भारत से ही जुटाया गया. इस ऐप से जुड़े तार और खाते खंगालने के लिए भारतीय एजेंसियों ने पिछले दो साल से काफी मेहनत की है. महादेव ऐप वर्ष 2022 तक धड़ल्ले से चलता रहा, लेकिन इसके बाद इनकम टैक्स विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की नजर पड़ी. इडी ने बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर जांच शुरू की और इसके ठिकानों पर छापेमारी शुरू की. इडी का आरोप था कि मनी लॉन्ड्रिंग में करीब 6000 करोड़ रुपये शामिल हैं. जांच में हवाला नेटवर्क, शेल कंपनियों और यहां तक कि राजनीतिक संरक्षण के दावों के लिंक भी खुला. इस मामले में आठ लोगों को इडी ने गिरफ्तार किया.

आजकल घंटों ऑनलाइन गेम खेल रहे बच्चे

आज कम कीमत पर स्मार्टफोन और कनेक्टिविटी मौजूद है. इसकी वजह से ऑनलाइन जुए की लोकप्रियता पूरी दुनिया में फैल रही है. यह चिंता का विषय बन गया है. बच्चे आजकल घंटों तक ऑनलाइन गेम खेलते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इन गेम्स में छिपे चैट रूम्स, इनाम के लालच और फर्जी ऑफर्स के जरिए उन्हें साइबर अपराधी जाल में फंसा लेते हैं. पिछले दिनों एक घटना सामने आई कि महज 13 साल के बच्चे ने वर्चुअल प्वाइंट्स खरीदने के लिए पिता का डेबिट कार्ड का इस्तेमाल किया और 150000 रुपये गंवा दिये. कई लोग सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए ऑनलाइन जुआ खेलना शुरू करते हैं. लेकिन, जल्द ही उन्हें इसकी लत लग जाती है. इसका असर जिंदगी पर पड़ने लगता है.

गेमिंग नहीं जाल था, जो ले डूबा होनहार को

ऑनलाइन गेम की लत अब खतरनाक रूप ले रही है. कई युवाओं की जान इस चक्कर में जा चुकी है. कोई पैसे हारने के बाद आत्मघाती कदम उठा रहा है तो कोई मानसिक दबाव सहन न कर पाने के कारण टूट रहा है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्कूल और कॉलेज के छात्र इस लत के शिकार तेजी से हो रहे हैं. साथ ही लत लगने के बाद माता-पिता की गाढ़ी कमाई डूबा देते हैं. इसके बाद जब परिवार का दबाव होता है तो गलत कदम उठा लेते हैं. ऐसी खबर कई बार सुनने और पढ़ने को मिलती है कि ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में गंवाए हजारों और लाखों रुपये. इस पर जब युवाओं की राय जानी गयी तो उन्होंने साफ कहा कि ऑनलाइन गेम ने युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल दिया है और सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए.

शुरुआत में बोनस, फिर जाल में फंसाव

ऑनलाइन गेम कंपनियां शुरुआत में बच्चों को आकर्षित करने के लिए बोनस और छोटे-छोटे इनाम देती हैं. इससे खिलाड़ियों को लगता है कि वे आसानी से कमा सकते हैं. लेकिन, धीरे-धीरे यह लालच इतना बढ़ जाता है कि खिलाड़ी और गहरे जाल में फंस जाते हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऑनलाइन गेम आपको शुरुआत में राजा बनाकर दिखाता है लेकिन आखिर में भिखारी बना देता है. ऑनलाइन गेमिंग में रुपये डूबाने के बाद एक माता-पिता ने सुझाव दिया कि सरकार को इन खतरनाक ऑनलाइन गेम को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना चाहिए, क्योंकि इसके नुकसान फायदे से कहीं अधिक हैं.

लगा किस्मत आजमा लूं

एक छात्र राजेश ने कहा कि कॉलेज से निकलने के बाद देखते थे कि कुछ साथी ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं. उनकी आपस में बातचीत होती थी कि वह इतना जीत चुके हैं. एक विद्यार्थी एक दिन में एक हजार रुपये जीता है. अपने आसपास तमाम साथियों को उसमें व्यस्त देखता था. खाना खाने के बाद बाहर निकलता तो वहां भी इस गेम में लोगों को चिपका हुआ पाया. इस तरह मुझे लगा कि क्यों न मैं भी अपनी किस्मत आजमा लूं.

क्या हैं खतरे

ऐप डाउनलोड करते ही नाम, मोबाइल नंबर, अकाउंट और आधार जैसी डिटेल्स मांगी जाती है.

स्कैमर्स इन डिटेल्स से आपके नाम पर नये अकाउंट खोल सकते है या बैंक अकाउंट हैक कर सकते हैं.

कुछ गेमर्स दूसरों को डराने, धमकाने या मानसिक दबाव डालने के लिए ही खेलते हैं.

इमेल, मेसेज या चैट में फर्जी लिंक भेजे जाते हैं, जो क्लिक करते ही फोन में वायरस डाल सकते हैं.

फ्री गेम्स के साथ ही मालवेयर/वायरस आ सकता है, जो डिवाइस से डेटा चुरा सकता है.

साइबर अपराधी खुद को भी नाबालिग बताकर बच्चों से दोस्ती करते हैं और फिर उनकी जानकारी चुराते हैं.

यूजर को टास्क देकर या बहला-फुसलाकर उन्हें किसी गैरकानूनी काम के लिए उकसाया जा सकता है.

इनका रखें ध्यान

गेमिंग ऐप के पब्लिशर की जानकारी जरूर चेक कर लें.

निजी जानकारी देने से बचें. आकर्षक सब्सक्रिप्शन ऑफर के जाल में न फंसे.

इमेल या टेक्स्ट मेसेज में आये संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक न करें.

क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड की जानकारी किसी के भी साथ शेयर मत करें.

कंप्यूटर या स्मार्ट फोन में अच्छा एंटीवायरस इंस्टॉल करें.

ऑनलाइन गेमिंग अकाउंट और अन्य ऑनलाइन अकाउंट के पासवर्ड मजबूत रखें.कोई दिक्कत होने पर अपने माता-पिता को जानकारी दें. आउटडोर गेम्स खेलने की आदत डालें.

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ऑनलाइन गेमिंग को सरकार ने तीन कैटेगिरी में बांट दिया है.

पहली कैटेगिरी – ई-स्पोर्ट्स

दूसरी कैटेगिरी – ऑनलाइन सोशल गेम

तीसरी कैटेगिरी – ऑनलाइन मनी गेमपहली कैटेगिरी में जैसे कोई शतरंज खेलता है. उसको ऑनलाइन भी खेल सकते हैं. इस तरह के खेल ई-स्पोर्ट्स के अंदर आते हैं. इसमें हो सकता है कि जीतने पर कोई इनामी राशि भी मिले. इसमें खिलाड़ी का तजुर्बा महत्वपूर्ण है.

दूसरी ऑनलाइन सोशल गेम की मदद से बच्चे कुछ सीखते हैं. इन गेम्स में हो सकता है कि कुछ सब्सक्रिप्शन देना पड़े, लेकिन यहां बदले में पैसा जीतने की उम्मीद नहीं होती है.

तीसरी कैटेगिरी में जहां बोला जाता है कि आप थोड़ा पैसा लगाओ और उम्मीद दी जाती है कि आप ज्यादा पैसा जीत सकते हैं. ज्यादा खेलेंगे तो और ज्यादा जीतेंगे. ये कैटेगिरी ऑनलाइन मनी गेम की है.

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कहां करें शिकायत?

साइबर सेल अफसर के मुताबिक, गेम्स में प्वाइंट्स या रिवार्ड के चक्कर में लोग ठगी के शिकार हो जाते हैं. अनजान लिंक्स पर क्लिक कर देते हैं, जिससे डेटा चोरी हो जाती है. ऐसी घटना होने पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दें या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें. नजदीकी साइबर पुलिस थाने में भी शिकायत कर सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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