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झारखंड के इन बेटों की शहादत पर है नाज, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए सरहद पर दे दी जान

रांची : भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में देश की रक्षा करते झारखंड के दो लाल शहीद हो गये. साहिबगंज जिले के कुंदन कुमार ओझा एवं पूर्वी सिंहभूम जिले के गणेश हांसदा ने देश की रक्षा के लिए शत्रुओं से लोहा लेते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी. झारखंड की माटी वीर जवानों से भरी पड़ी है. गुमला जिले के लांस नायक परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का से लेकर रांची के लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार शुक्ला तक की लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. पढ़िए गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

रांची : भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में देश की रक्षा करते झारखंड के दो लाल शहीद हो गये. साहिबगंज जिले के कुंदन कुमार ओझा एवं पूर्वी सिंहभूम जिले के गणेश हांसदा ने देश की रक्षा के लिए शत्रुओं से लोहा लेते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी. झारखंड की माटी वीर जवानों से भरी पड़ी है. गुमला जिले के लांस नायक परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का से लेकर रांची के लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार शुक्ला तक की लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. पढ़िए गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

1. शहीद गणेश हांसदा ग्रामीणों के लिए थे रोनाल्डो

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत चिंगड़ा पंचायत के कोषाफलिया गांव के वीर सपूत गणेश हांसदा पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15/16 जून 2020 की रात चीनी सैंनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हो गये. 21 वर्षीय गणेश को बचपन से ही सेना में जाने की तमन्ना थी. उनके दोस्त राहुल पैड़ा, आशीष सिंह, धर्मेंद्र बताते हैं कि वे पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी अच्छे थे. उन्होंने आठवीं तक पढ़ाई गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, कोषाफलिया में की. केरुकोचा उत्क्रमित हाई स्कूल से वर्ष 2015 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया. इसके बाद जमशेदपुर एलबीएसएम कॉलेज, करनडीह में इंटर साइंस में एडमिशन लिया था. इसी दौरान उन्होंने एनसीसी ज्वाइन की थी.

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संथाली समुदाय के लाल थे गणेश

गणेश के दोस्त बताते हैं कि वे कम बोलते थे. खेलकूद में बेहतर प्रदर्शन करते थे. गांव में उन्हें फुटबॉल का रोनाल्डो कहा जाता था. गणेश काफी तेज दौड़ते थे. यही वजह थी कि सेना बहाली में उन्होंने दौड़ में एक्सीलेंट मार्क्स पाया था. संथाली समुदाय के लाल गणेश हांसदा कई महीनों से देश के सबसे ठंडा स्थान लद्दाख में पदस्थापित थे.

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पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15/16 जून 2020 की रात चीनी सैनिकों के साथ बहादुरी से लड़ते हुए साहिबगंज के लाल कुंदन कुमार ओझा (26 वर्ष) भी शहीद हो गये. कुंदन साहिबगंज जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत हाजीपुर पश्चिम पंचायत के डिहारी गांव के रहनेवाले थे. कुंदन के पिता रविशंकर ओझा किसान हैं. 17 दिनों पहले ही कुंदन की पत्नी ने पुत्री को जन्म दिया है. वर्ष 2011 में 16 बिहार दानापुर रेजिमेंट में चयन हुआ था. 2012 में उन्होंने भारतीय थल सेना ज्वाइन किया था.

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अपनी बिटिया को नहीं देख सके कुंदन

शहीद कुंदन ने साहिबगंज कॉलेज से 2011 में इंटर पास किया था. वे बीए पार्ट 2 की पढ़ाई कर ही रहे थे कि सेना में उनकी बहाली हो गई. इनके परिजनों की मानें, तो लॉकडाउन नहीं होता, तो कुंदन अपने गांव आ गये होते और अपनी बिटिया को देख लेते. लॉकडाउन के कारण ये संभव नहीं हो सका.

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3. भारत-पाक सीमा पर लड़ते हुए शहीद हुए थे संतोष गोप

गुमला जिले के बसिया प्रखंड के टेंगरा गांव के वीर सपूत संतोष गोप 12 अक्टूबर 2019 की रात जम्मू- कश्मीर में शहीद हो गये थे. पाकिस्तान से सटे रजौरी के नवशेरा सेक्टर में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सीजफायर का उल्लंघन करने के कारण भारतीय जवान संतोष गोप घायल हो गये थे. इलाज के क्रम में ही इन्होंने अंतिम सांस ली.

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शादी कर घर बनाना चाहते थे संतोष

मां सारो देवी और पिता जीतू गोप के बेटे संतोष गोप ने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी. इनके परिवार वाले बताते हैं कि शहीद संतोष ने उन्हें शादी के लिए लड़की खोजने को कहा था. वे शादी करना चाहते थे और जमीन खरीदकर गुमला में घर बनाना चाहते थे, लेकिन ये सपने अधूरे रह गये.

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साहिबगंज जिले के कई बेटे देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं. इनमें शहीद सुखदेव सिंह शोभनुपर भट्टा के रहने वाले थे. बीएसएफ के जवान सुखदेव जम्मू कश्मीर में तैनात थे. सुखदेव सिंह भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के दौरान शत्रुओं से लोहा लेते हुए तीन नवंबर 2001 को शहीद हो गये थे. ये सरल स्वभाव के थे. काफी मिलनसार थे. सभी लोग उन्हें काफी मानते थे.

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साहिबगंज के बिजली घाट निवासी ब्रज किशोर यादव भी आतंकी हमले में शहीद हो गये थे. हालांकि उनका पैतृक गांव बिहार का पीरपैती है, लेकिन लंबे समय से वे यहीं रह रहे थे. वे बीएसएफ में श्रीनगर में तैनात थे. 3 सितंबर 2017 को श्रीनगर 182 बटालियन के कैंप पर हुए आतंकी हमले में वे शहीद हो गये थे. इनके दोस्त इनकी बहादुरी की गाथा आज भी सुनाते हैं.

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साहिबगंज के तालझारी प्रखंड के प्रधान टोला के रहने वाले सुबोध जोनाथन मरांडी कारगिल युद्ध में बहादुरी के साथ लड़ते हुए शहीद हुए थे. इन्होंने 1986 में बिहार रेजीमेंट दानापुर में आर्मी में योगदान किया था. 26 जुलाई को ये शहीद हुए थे. इनका जन्म 4 मार्च 1966 को एक मध्यम परिवार में हुआ था. ये बचपन से ही अन्याय के खिलाफ रहते थे. इन्होंने गांव के संत जॉन मध्य विद्यालय मिशन एवं बीएसके कॉलेज, बरहड़वा से पढ़ाई की थी.

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जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी सैनिकों की फायरिंग में बीएसएफ जवान सीताराम उपाध्याय 18 मई 2018 को शहीद हो गये थे. वे गिरिडीह जिले के पीरटांड़ के रहने वाले थे. छह साल पहले सीताराम ने बीएसएफ ज्वाइन की थी. उसके दो साल बाद उन्होंने विवाह किया था. इनकी दो संतान हैं.

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8. पुलवामा हमले में शहीद हुए थे विजय सोरेंग

14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले में झारखंड का एक लाल शहीद हो गया था. गुमला जिले के विजय सोरेंग पुलवामा हमले में शहीद हो गये थे. गुमला जिला वीर जवानों की धरती रही है. यहां के कई बेटों ने देश की रक्षा के लिए खुद को न्योछावर कर दिया है. इन्हीं में से एक थे शहीद विजय सोरेंग.

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लांस नायक अल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसंबर 1942 को गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड के जारी गांव में हुआ था. वर्ष 1971 की लड़ाई में अपनी बहादुरी के बल पर उन्होंने पाकिस्तानी फौज के दांत खट्टे कर दिये थे. बहादुरी से लड़ते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुए थे. मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र की उपाधि से अलंकृत किया गया था. जूलियस एक्का और मरियम एक्का के घर जन्मे अल्बर्ट एक्का दिसंबर 1962 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे.

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10. श्रीलंका में शहीद हुए थे जॉन ब्रिटो किड़ो

जॉन ब्रिटो किड़ो का जन्म 22 अक्तूबर 1968 को सिमडेगा जिले की ठेठईटांगर पंचायत में हुआ था. बिहार रेजिमेंट की तरफ से शांति सेना के रूप में उन्हें श्रीलंका भेजा गया था. 13 दिसंबर 1989 को शत्रुओं के साथ लड़ते हुए वे शहीद हो गये थे. मरणोपरांत उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

11. जम्मू कश्मीर में शहीद हुए थे सूबेदार घामा उरांव

सूबेदार घामा उरांव का जन्म पांच फरवरी 1968 को लोहरदगा जिले में हुआ था. शांति सेना के रूप में वे श्रीलंका गये थे. उन दिनों श्रीलंका गृहयुद्ध से जूझ रहा था. वहां से लौटने के बाद 26 जनवरी 1991 को उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वर्ष 2007 में जम्मू कश्मीर में जमीला पोस्ट पर आतंकियों से लोहा लेते हुए वे शहीद हो गये.

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नायक विश्वा केरकेट्टा का जन्म पांच अगस्त 1964 को रांची जिले के नामकुम के खिजरी गांव में हुआ था. 20 अक्तूबर 1997 को जम्मू कश्मीर में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में वे शहीद हुए थे. उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था.

13. शत्रुओं से युद्ध करते शहीद हुए थे शंकर हेम्ब्रम

सिपाही शंकर हेम्ब्रम का जन्म 11 जून 1923 को दुमका जिले के छुरीबादा गांव में हुआ था. 12 जून 1948 को दुश्मनों के साथ युद्ध करते हुए वे शहीद हो गये थे. मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.

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नायक जिदान बागे का जन्म 18 जनवरी 1958 को गुमला जिले के टाटी कुरकुरा में हुआ था. 27 फरवरी 1991 को पंजाब में आतंकवादियों के साथ लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.

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लांस हवलदार तिफिल तिड़ू 28 मार्च 1994 को सोमालिया के किस्माऊ क्षेत्र में शांति मिशन के तहत अपने कार्य को अंजाम देते हुए शहीद हो गये. मरणोपरांत उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.

16. जम्मू कश्मीर में शहीद हुए थे लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार

लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार पांच दिसंबर 2014 को जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये थे. कर्तव्यपरायणता एवं अदम्य साहस के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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