मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में महिला एवं नाबालिगों के साथ होनेवाले दुष्कर्म तथा प्रताड़ना की घटनाओं को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया. मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने राज्य सरकार को सभी पक्षों को शपथ पत्र की प्रतियां सौंपने के बाद एक दिन के भीतर शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. झालसा के अधिवक्ता ने भी सीलबंद लिफाफे में कुछ रिपोर्ट पेश की, जिन्हें खंडपीठ ने प्रार्थी व अन्य पक्षों को सौंपने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 12 नवंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पिछले आदेश के आलोक में शपथ पत्र दाखिल नहीं किया जा सका है. सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि कुल 968 स्कूल अपना समेकित अनुपालन प्रस्तुत करेंगे. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के सचिव को एक शपथ पत्र दाखिल करने और 17 सितंबर के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था, जो रांची जिले के सभी स्कूलों (सरकारी व निजी) द्वारा चेकलिस्ट जमा करने के संबंध में था. वहीं प्रार्थी अधिवक्ता भारती कुमारी ने पक्ष रखा, जबकि रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी भारती कुमारी ने जनहित याचिका दायर की है. कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में पांच बिंदुओं पर राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. इसमें महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर राजधानी के प्रमुख जगहों पर सीसीटीवी कैमरा लगाने और खराब कैमरे को ठीक करने, स्कूलों में बसों में महिला स्टाफ रखने, बच्चों एवं महिलाओं की शिकायत के लिए स्कूलों में कंप्लेन बॉक्स रखने, महिलाओं को इमरजेंसी में सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर को अखबार सहित अन्य प्रचार माध्यमों के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने आदि के संबंध में जानकारी देने का निर्देश दिया था.
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