रांची. सीएनटी एक्ट के 117 साल पूरे हो रहे हैं. सीएनटी एक्ट की वजह से छोटानागपुर में आदिवासी व मूलवासी समुदाय की भूमि को बचाने में बहुत हद तक सफलता मिली है. सीएनटी एक्ट के प्रारूप में जेसुएट फादर जेबी हॉफमेन का अहम योगदान रहा है. हॉफमेन लॉ एसोसिएट के निदेशक अनूप चंद मिंज ने कहा कि 11 नवंबर छोटानागपुर के आदिवासी और मूलवासियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. इसी दिन 1908 में इनके जमीन की रक्षा कवच के रूप में सीएनटी एक्ट) लागू किया गया था. इस एक्ट का प्रारूप तैयार करने में फादर जेबी हॉफमेन का योगदान हमेशा याद किया जायेगा. उन्होंने कहा कि फादर हॉफमेन का कार्य मुख्यतः छोटानागपुर का मुंडा क्षेत्र रहा. वे एक ईसाई मिशनरी के रूप में खूंटी क्षेत्र में पदस्थापित थे. उनका स्पष्ट मानना था कि जबतक आदिवासियों के शैक्षणिक. आर्थिक व सामाजिक उत्थान के लिए कुछ ठोस कदम नहीं उठाये जायेंगे. ईसाई धर्म का उनपर नगण्य प्रभाव होगा. उन्होंने बहुत ही बारीकी से आदिवासी समाज और खास कर मुंडा समाज की भाषा, संस्कति और जमीन संबंधी समाजिक दस्तूरों का गहन अध्ययन किया था. वे अंग्रेज अधिकारियों के बीच एक जाने-माने भाषाविद, समाजशास्त्री तथा सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे. फादर हॉफमेन ने अंग्रेज अधिकारियों को समझाया कि आदिवासियों के विद्रोह को शांत करने का एकमात्र उपाय है एक ऐसा कानून बनाना जो उनकी जमीन की खरीद-बिक्री पर लगाम लगा सके. इसके बाद उन्होंने एक्ट के प्रारूप बनाने की दिशा में काम शुरू किया.
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