रांची. भादो एकादशी के अवसर पर बुधवार को राजधानी में करम पूजा श्रद्धा और उल्लास के साथ मनायी गयी. पूजा में शामिल लोग सुबह से ही उपवास में रहे. दोपहर बाद करम डाल लाने का सिलसिला शुरू हुआ. हरमू देशावली में दोपहर एक बजे के बाद युवा करम डाल लाने निकल गये थे. अन्य पूजा समितियों में शाम को करम डाल लाया गया. पाहन और महिलाओं ने करम डाल का स्वागत कर अखड़ा में स्थापित किया. पूजा के साथ करम कथा सुनायी गयी, जिसमें करमा-धरमा नामक दो भाइयों की कहानी थी. कथा का सार था-जीवन में अच्छे कर्म और धर्म का संतुलन जरूरी है. बहनों ने अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए करमदेव से प्रार्थना की. पूजा के बाद जावा फूल कानों में खोंसकर पर्व की बधाई दी गयी. प्रसाद वितरण के साथ नागपुरी, मुंडारी, कुड़ुख के करम गीतों पर देर रात तक नृत्य हुआ. करम करम बादीगे आयो, हाय रे हायरे तब मोय तो सखी खेल जाबु, करम राजा आलंय सालक दिने… जैसे गीतों पर लोग झूमते रहे. शहर के सभी अखड़ा सजे-धजे थे. मोरहाबादी स्थित आदिवासी छात्रावास ने रास्ते के दोनों किनारों पर विद्युत गेट लगाया. हरमू देशावली में तालाब किनारे और पेड़ों पर विद्युत सजावट की गयी. करमटोली चौक, चडरी, अरगोड़ा और कडरू के पूजा स्थलों पर भी फूलों और रोशनी से आकर्षक सजावट की गयी थी.
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