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ranchi news : रिनपास का अध्ययन : मोबाइल बढ़ाता है अकेलापन और उदासी, खुद पर भरोसा भी कम कराता है

मोबाइल का ज्यादा उपयोग (औसत छह से सात घंटे) विद्यार्थियों को परेशान कर रहा है. यह विद्यार्थियों में अकेले रहने की प्रवृत्ति व उदासी बढ़ा रहा है

रांची (मनोज सिंह). मोबाइल का ज्यादा उपयोग (औसत छह से सात घंटे) विद्यार्थियों को परेशान कर रहा है. यह विद्यार्थियों में अकेले रहने की प्रवृत्ति व उदासी बढ़ा रहा है आर खुद पर भरोसा कम करा रहा है. रिनपास ने मोबाइल के माध्यम से सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग से विद्यार्थियों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कराया है. इसके लिए एसएस मेमोरियल कॉलेज के विद्यार्थियों को चुना गया. विद्यार्थियों को दो ग्रुप में बांट कर मोबाइल के ज्यादा उपयोग से बचने की तकनीक भी बतायी गयी. एक ग्रुप को पहले की तरह मोबाइल उपयोग करने के लिए छोड़ दिया गया. इसमें पाया गया है कि मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने वाले विद्यार्थियों में अकेले रहने की ज्यादा इच्छा होती है. बीच-बीच में वह उदास रहने लगते थे. उन्हें लगता था कि कोई उन पर ध्यान नहीं देता है.

छह स्केल पर अध्ययन

रिनपास की क्लीनिकल साइकोलॉजी विभाग की पीएचडी स्कॉलर प्रतीक्षा द्विवेदी ने विभाग के अध्यक्ष डॉ अमूल रंजन सिंह की देखरेख में यह अध्ययन किया है. इसके लिए कॉलेज के 60 विद्यार्थियों की स्क्रीनिंग की गयी. इसमें 10 का चयन किया गया था. यह वैसे विद्यार्थी थे, जो सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहते थे. इसमें पांच-पांच विद्यार्थियों का दो ग्रुप बनाया गया. एक ग्रुप को पहले की तरह मोबाइल का उपयोग करने के लिए छोड़ दिया गया. वहीं दूसरे ग्रुप को मोबाइल का उपयोग कम करने की कुछ तकनीक सिखायी गयी़ दो माह के बाद इनके व्यवहार का आकलन किया गया. इसके लिए छह स्केल बनाये गये थे. इसमें से चार में व्यापक सुधार मिला.

योग का भी प्रैक्टिस कराया गया

अध्ययन के दौरान जो कंट्रोल ग्रुप बनाया गया था, उन्हें योग का भी प्रैक्टिस कराया गया. इसमें लंबी-लंबी सांस लेने की तकनीक ज्यादा थी. इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों के मोबाइल का नोटिफिकेशन बंद रखवाया गया. कितना देर मोबाइल देखना है, यह पहले तय कर लेने को कहा गया. बेड और डाइनिंग एरिया से दूर चार्जिंग प्लग लगाने को कहा गया. घर में जहां बैठते हैं, वहां से मोबाइल दूर रखने को कहा गया. विद्यार्थियों को टाइम मैनेजमेंट सिखाया गया. जिस वक्त मोबाइल उपयोग करते थे, उस समय पसंद का विषय पढ़ने को कहा गया. उस दौरान अपनी हॉबी पर ध्यान दिलाया गया. इसका असर विद्यार्थियों पर दिखा. मोबाइल उपयोग में तीन से चार घंटे तक की कमी आयी. सकारात्मक बदलाव आया.

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Prabhat Khabar News Desk
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