पिपरवार. रैयत विस्थापित मोर्चा की मंगलवार से अनिश्चितकालीन राजधर साइडिंग बंदी से संघर्ष की जमीन तैयार हो रही है. बंदी के खिलाफ बहेरा, राजधर व कनौदा के रैयतों के एकजुट हो जाने से अनिष्ट की आशंका व्यक्त की जाने लगी है. रैविमो साइडिंग में विस्थापितों को रोजगार की मांग को लेकर बंदी के लिए अड़ा है, तो बहेरा, राजधर व कनौदा के रैयत काम छीन जाने के भय से बंदी के खिलाफ हैं. वे किसी भी हालत में रैविमो की बंदी को सफल नहीं होने देना चाहते हैं. मामला रैयत बनाम रैयत हो कर रह गया है. ऐसे में प्रबंधन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं कर सका है. प्रबंधन की दोनों पक्षों से वार्ता के बाद भी कोई हल निकल नहीं पाया है. दूसरे पक्ष का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता कासिम उर्फ मुन्ना का आरोप है कि रैविमो के चंद लोग निजी स्वार्थ के लिए साइडिंग को अस्थिर कर रैयतों से साइडिंग का काम छीनना चाहते हैं. इससे साइडिंग में काम करने वाले रैयत बेरोजगार हो जायेंगे. वहीं, रैविमो के नेता इकबाल हुसैन विस्थापितों की हकमारी बता रहे हैं. उनका मानना है कि राजधर साइडिंग के विस्थापित केवल बहेरा, राजधर व कनौदा गांव के रैयत नहीं हैं, बल्कि इसमें दर्जनों गांव के लोग शामिल हैं. जिसकी वजह से समस्या का कोई सर्वमान्य हल निकल नहीं पा रहा है. क्योंकि साइडिंग में एक निश्चित संख्या में ही लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. ऐसे में प्रबंधन यदि कोई सर्वमान्य हल निकालता है, तो मंगलवार को साइडिंग में संघर्ष से इनकार नहीं किया जा सकता है.
काम छीन जाने के भय से बहेरा, राजधर व कनौदा के रैयत बंद के खिलाफ
प्रबंधन की दोनों पक्षों से वार्ता के बाद भी कोई हल निकल नहीं पाया है
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