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बेजुबानों के रहनुमा : पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील राजधानीवासियों की कहानी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

राजधानी रांची में अपने-अपने तरीके से बेजुबान पशु-पक्षियोंं की सेवा में शिद्दत से जुटे हुए हैं. कई लोग ऐसे हैं, जो गर्मी के दिनों में पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करते हैं. वहीं, कई लोग इस कार्य को सालों भर जारी रखते हैं.

रांची, पूजा सिंह : फिर सुबह होगी फिल्म में साहिर लुधियानवी के लिखे और मुकेश के गाये बेहद मशहूर एक गीत की पहली लाइन है- आसमां पे है खुदा और जमीं पे हम… मिलिए जमीं के कुछ ऐसे ही रहनुमाओं से, जो राजधानी रांची में अपने-अपने तरीके से बेजुबान पशु-पक्षियोंं की सेवा में शिद्दत से जुटे हुए हैं. कई लोग ऐसे हैं, जो गर्मी के दिनों में पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करते हैं. वहीं, कई लोग इस कार्य को सालों भर जारी रखते हैं. बेजुबानों के प्रति संवेदनशील रांची के ऐसे लोगों पर पेश है रिपोर्ट.

30 वर्षों की परंपरा को आगे बढ़ाया

रातू रोड के निर्मल बुधिया राणी सती मंदिर के सहयोग से 30 सालों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कबूतरों के लिए रोजाना दाना-पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. वह बताते हैं कि प्रतिदिन सुबह छह से साढ़े छह बजे के बीच इन कबूतरों को 25-30 केजी अनाज खिलाते हैं. इस नेक कार्य की शुरुआत 30 साल पहले पुरुषोत्तम रूंगटा व मंदिर के तत्कालीन ट्रस्टी सत्यनारायण नरसरिया ने की थी. दो सालों के बाद पुरुषोत्तम रूंगटा ने यह कार्य उनके पिता सांवरमल बुधिया को सौंपा. पिताजी ने राणी सती मंदिर के कैंपस स्थित हनुमान वत्स पोद्दार सत्संग भवन की छत पर 25 सालों तक पक्षियों को दाना-पानी देने का कार्य किया. अस्वस्थ रहने के कारण पिताजी ने यह जिम्मेदारी मुझे दे दी. पिछले तीन-चार वर्षों से यह कार्य कर रहे हैं. इसमें ज्ञान प्रकाश जालान, रतन लाल जालान, सतीश तुलस्यान, सुशील रूंगटा, मनोज मित्तल सहित समाज के कई लोगों का सहयोग मिल रहा है.

कमलेश प्रतिदिन 30-40 कुत्तों को खिलाते हैं खाना

कमलेश पांडेय मुख्य वन संरक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. वह कोरोना काल के पहले से ही कांके रोड व चांदनी चौक के समीप मैदान में सड़कों पर रहने वाले कुत्तों के लिए खाना व पानी की व्यवस्था करते आ रहे हैं. वह प्रतिदिन 30-40 कुत्तों के लिए खाना बना कर सुबह में ही घर से निकल पड़ते हैं. कमलेश का मानना है कि सड़कों पर रहने वाले कुत्तों को खाना-पानी की बहुत आवश्यकता होती है. गर्मी के दिनों में पानी के लिए तरस जाते हैं. वहीं, ठंड के दिनों में इनके लिए कंबल व गर्मी के दिनों में पानी पर ज्यादा ध्यान देते हैं. भोजन से किसी भी रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. अगर इन बेजुबानों को खाना मिल जाये, तो यह भी स्वस्थ रहेंगे. वहीं, जख्मी व बीमार कुत्ते का इलाज भी करवा देते हैं, ताकि वह स्वस्थ हो सकें. उन्होंने कहा कि लोगों को जीव-जंतु के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है.

एक्सपर्ट की राय

झारखंड में पानी की समस्या देखने को मिलती है. ऐसे में गर्मी के दिनों में लोगों के साथ-साथ जीव-जंतुओं को भी पानी के लिए परेशान होना पड़ता है. पानी की तलाश में ही जंगल से कई जानवर गांव व शहरों का रुख करने लगते हैं. कई बार ग्रामीणों के हाथों शिकार भी हो जाते हैं. इसके लिए लोगों को आगे आने की जरूरत है. पानी के स्रोत को बचाने की जरूरत है. पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था अपने-अपने घरों में करें. चिड़ियों को काफी मात्रा में तो नहीं, लेकिन पानी की आवश्यकता होती है.

-लाल रत्नाकर सिंह, पूर्व चेयरमैन, झारखंड जैव विविधता बोर्ड

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खान-पान का रखें विशेष ध्यान

रिसर्च गेट डॉट नेट के फीडिंग बर्ड इन आवर टाउन एंड सिटीज विषय पर किये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि सभी पशु-पक्षियों के खान-पान की आदत अलग-अलग होती है. कई बार पक्षियों के खान-पान अव्यवहारिक होने से उनकी प्रजनन क्षमता को भी नुकसान होता है. इसके लिए समुदाय में जागरूकता फैलाने की जरूरत है. पक्षियों के लिए कच्चा भोजन ज्यादा फायदेमंद होता है. इससे पक्षियों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल्स मिल जाते हैं. ये चीजें नहीं दें : ऑवाकाडो, चॉकलेट, लहसुन, प्याज, वनस्पति तेल, किसी भी फल का बीज, ज्यादा नमक वाला खाना व प्रोसेस्ड फूड.

10 वर्षों से पशु-पक्षियों की इवा कर रहीं सेवा

इवा मार्गेट हांसदा बरियातू में रहती हैं. पेशे से प्रोफेसर हैं. पशु-पक्षियों से इन्हें काफी लगाव है. श्रीमती हांसदा पिछले 10 वर्षों से अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए रोजाना दाना-पानी की व्यवस्था करती आ रही हैं. इसके अलावा घर के बाहर बाहरी कुत्तों को भी प्रतिदिन खाना-पानी देती हैं. वह बताती हैं कि गर्मी शुरू होते ही फरवरी-मार्च से ही जलाशयों के पानी सूखने लगते हैं. ऐसे में चिड़ियों व अन्य जीवों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है. इसलिए घर की छत पर चार से पांच जगहों पर मिट्टी के बर्तन रखते हैं. इनमें प्रतिदिन पानी रखते हैं. गर्मी के दिनों में इसे दो से तीन बार डालते रहते हैं. इसके साथ दाना भी डालते हैं. प्रतिदिन शाम को इन बर्तनों को धोकर ही पानी डालते हैं, ताकि गंदे पानी पक्षी न पी सकें. यही वजह है कि उनकी छत पर साल भर कई वेराइटी के पक्षी देखने को मिलते हैं. इन पक्षियों की तस्वीर भी उनके पास है. इसके अलावा सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों के लिए भी प्रतिदिन खाना-पानी की व्यवस्था करते हैं. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी बहुत जरूरी है. गर्मी के दिनों में इनके लिए पानी की व्यवस्था जरूर करें.

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