रांची. झारखंड के जंगलों की 50,000 हेक्टेयर भूमि (वन भूमि) के अतिक्रमण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की गयी है. प्रार्थी सेवानिवृत्त वन क्षेत्र पदाधिकारी आनंद कुमार ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाइकोर्ट ने उनकी जनहित याचिका खारिज कर दी थी. प्रार्थी आनंद कुमार ने अपनी एसएलपी में कहा है कि हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वन विभाग की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया था. उसमें 30,238 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण की बात स्वीकार की गयी है.
एक लाख हेक्टेयर से अधिक वन भूमि गायब
इसी मामले में महालेखाकार की ओर से भी शपथ पत्र दायर कर इंडियन फॉरेस्ट सर्वे की रिपोर्ट का हवाला देते हुए राज्य में एक लाख हेक्टेयर से अधिक वन भूमि गायब होने की बात कही गयी है. वन भूमि के अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2003 में फैसला दिया था. इसमें 31 दिसंबर 2003 तक वन भूमि से स्वत: अतिक्रमण हटा लेने को कहा गया था. इसके बाद अतिक्रमणकारियों से पांच लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से राशि वसूलने का आदेश दिया था, लेकिन आइएफएस अधिकारियों ने अतिक्रमण भी नहीं हटाया तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राशि भी वसूल नहीं की है. प्रार्थी ने वैसे अधिकारियों की संपत्तियों की जांच सीबीआइ और इडी से कराने की मांग की है.
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