सीजीएल परीक्षा-2023 के रिजल्ट प्रकाशन पर झारखंड हाइकोर्ट की रोक बरकरार
-हाइकोर्ट ने जेएसएससी को सीजीएल परीक्षा से संबंधित डाटा शपथ पत्र में देने का दिया निर्देश.
-मामला सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक व अन्य गड़बड़ियों की सीबीआइ से जांच कराने का.रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता (सीजीएल)-2023 के तहत 21 व 22 सितंबर को ली गयी परीक्षा में गड़बड़ियों की सीबीआइ जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी राज्य सरकार का पक्ष सुना. सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पैरवी की. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को सीजीएल परीक्षा से संबंधित डाटा को शपथ पत्र में दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही सीजीएल परीक्षा के रिजल्ट प्रकाशन पर पूर्व में लगी रोक (अंतरिम आदेश) को खंडपीठ ने अगले आदेश तक बरकरार रखा. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 29 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की. उस दिन प्रार्थियों की ओर से अपना पक्ष रखा जायेगा. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि सीजीएल परीक्षा की सीआइडी जांच में अब तक पेपर लीक होने का कोई सबूत नहीं मिला है. कुछ संभावित प्रश्न मिलने से पेपर लीक होने का अंदेशा जताया जा रहा था. संतोष मस्ताना नामक व्यक्ति से सीआइडी ने दोबारा पूछताछ की है. उसने किसी दीपिका नामक युवती से कुछ प्रश्न मिलने की बात बतायी है, जो गेस पेपर जैसा था, लेकिन पेपर लीक होने का कोई साक्षय नहीं मिला है. महाधिवक्ता ने जांच की स्टेटस रिपोर्ट भी पेश की. उन्होंने पटना हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि परीक्षा की प्रक्रिया को रोकना सही नहीं है. प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा व वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने पैरवी की, जबकि हस्तक्षेपकर्ता दीपक उरांव व अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, वरीय अधिवक्ता वी मोहना व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा. सीजीएल परीक्षा के रिजल्ट प्रकाशन पर लगायी गयी रोक को हटाने का आग्रह किया. जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल व अधिवक्ता प्रिंस कुमार उपस्थित थे.
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