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मनमोहन सिंह सरकार ने 2014 में क्यों की थी सरना कोड की मांग खारिज? आजसू पार्टी का JMM और कांग्रेस पर निशाना

Sarna Code: आजसू पार्टी ने पेसा कानून और सरना कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और झामुमो पर निशाना साधा. आजसू पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत और झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि कांग्रेस और झामुमो पेसा और सरना कोड के मुद्दे पर गुमराह करना बंद करें. उन्होंने पूछा कि 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार ने सरना कोड की मांग खारिज क्यों की थी?

Sarna Code: रांची-आजसू पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस और झामुमो पेसा कानून और सरना कोड के मुद्दे पर झारखंडी जनता को गुमराह करना बंद करें और बताएं कि 2014 में केंद्र की मनमोहन सिंह की सरकार ने सरना कोड की मांग को खारिज क्यों किया था? आजसू ने कांग्रेस और झामुमो से पेसा कानून के संबंध में अपनी स्थिति और रुख स्पष्ट करने को कहा है. आजसू पार्टी के मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत और झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में संयुक्त रूप से कहा कि मौजूदा सरकार आदिवासियों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही है और पेसा कानून को पूरी तरह लागू करने से कतरा रही है.

कांग्रेस-झामुमो ने की थी झारखंड आंदोलन की सौदेबाजी-आजसू पार्टी


आजसू नेता डॉ देवशरण भगत और प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि आजसू पार्टी हमेशा से आदिवासियों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों के लिए संघर्ष करती रही है. आजसू पार्टी के संघर्ष की बदौलत झारखंड राज्य हासिल हुआ है. कांग्रेस-झामुमो ने तो 1993 में झारखंड आंदोलन की सौदेबाजी कर ली थी और अलग राज्य का निर्माण नहीं होने दिया था. 1999 में आजसू पार्टी ने तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ वार्ता कर झारखंड निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था.

सरना कोड की मांग क्यों की थी खारिज-आजसू पार्टी


डॉ देवशरण भगत ने कहा कि 2012 में मनमोहन सिंह सरकार ने लोकसभा में सरना कोड की मांग को गृह मंत्रालय के जरिए अव्यावहारिक बताते हुए खारिज कर दिया था. सरना कोड पर घड़ियाली आंसू बहाने के पहले कांग्रेस-झामुमो इस बात का जवाब दें कि 11 फरवरी 2014 को यूपीए के केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री वी किशोर चंद्रदेव ने आधिकारिक वक्तव्य में सरना कोड की मांग को खारिज क्यों किया था? केंद्रीय मंत्री ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट रूप से कहा था कि सरना कोड की मांग व्यावहारिक नहीं है. आजसू पार्टी सरना कोड के समर्थन में है, लेकिन कांग्रेस-झामुमो की दोहरी नीति का पर्दाफाश किया जाना जरूरी है.

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आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड 1961 में समाप्त-प्रवीण प्रभाकर


प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि सरना कोड आदिवासी समुदाय की भावना, पहचान और अस्तित्व से जुड़ा प्रश्न है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और झामुमो ने इस मुद्दे को पहले अव्यावहारिक कहकर खारिज कर दिया था और अब राजनीतिक लाभ के लिए इसे उछाल रहे हैं. उन्होंने जानकारी दी कि 1871 से लेकर 1951 तक की जनगणनाओं में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड था, लेकिन 1961 से इसे समाप्त कर दिया गया. आदिवासी पहचान को कमजोर करने की कोशिश हुई.

पेसा कानून पर संजय मेहता का गंभीर आरोप


पेसा कानून को लेकर संजय मेहता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस कानून के पूरी तरह लागू होने से डरते हैं, क्योंकि इससे आदिवासी समाज को जल, जंगल और जमीन पर परंपरागत अधिकार मिलेगा और सत्ता में बैठे लोगों की भ्रष्टाचार आधारित राजनीति उजागर हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन से बालू माफियाओं की चोरी रुकेगी और प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर लगाम लगेगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया प्रभारी परवाज खान, केंद्रीय सचिव हरीश कुमार उपस्थित थे.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
Senior Journalist with more than 10 years of experience in Print and Digital media. Laadli Media award winner.

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