Run For Vision: झारखंड की राजधानी रांची में 7 सितंबर 2025 को 7वीं बार ब्लाइंड फोल्डेड रन फॉर विजन का आयोजन होने जा रहा है. झारखंड में सबसे ज्यादा नेत्र प्रत्यारोपण करने वाला कश्यप मेमोरियल आई बैंक पिछले 23 सालों से इसका आयोजन कर रहा है. यह आयोजन अपने आप में अनूठा है, क्योंकि नेत्रदान जागरूकता अभियान चलाने वाली यह देश की एकमात्र संस्था है, जो नेत्रदान के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए लगातार 23 वर्षों से रन फॉर विजन का आयोजन कर रही है. यह सातवां साल है, जब ‘ब्लाइंड फोल्डेड रन फॉर विजन’ होने जा रहा है.
सेंट जेवियर्स कॉलेज में होगा आयोजन, स्वास्थ्य मंत्री मुख्य अतिथि होंगे
इस बार कार्यक्रम का आयोजन रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज परिसर में होगा. मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी होंगे. विशिष्ट अतिथि वित्त मंत्री राधाकृषण किशोर भी मौजूद रहेंगे. इस अवसर पर मरणोपरांत नेत्रदान करने वालों के परिजनों और नेत्रदान के लिए लोगों को जागरूक करने वाली संस्थाओं को सम्मानित भी किया जायेगा.
दिशोम गुरु से लेकर द्रौपदी मुर्मू तक ने Run For Vision को सराहा
रांची में हर साल आयोजित होने वाले रन फॉर विजन की खास बात यह है कि झारखंड के सबसे बड़े आदिवासी नेता दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन से लेकर अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति) ने ‘रन फॉर विजन’ में भाग लिया है. सभी नेताओं ने झारखंड के लोगों से नेत्रदान करने की अपील की है. इस आयोजन की सराहना भी की है.
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1000 से अधिक नेत्र प्रत्यारोपण करने वाला झारखंड का पहला आई बैंक बना
झारखंड-बिहार में नेत्र प्रत्यारोपण की शुरुआत करने वाले नेत्र विशेषज्ञों ने इस संस्था की नींव रखी थी. झारखंड में हर साल इस अस्पताल में करीब 100 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जाता है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. अब तक इस आई बैंक में 1,015 कॉर्निया ट्रांसप्लांट हो चुके हैं. पिछले 5 सालों में ही 490 लोगों को नेत्रदान का लाभ इस आई बैंक के माध्यम से मिला है.
इन्फ्रा या मैन पावर पर सरकार को खर्च नहीं करने पड़ते पैसे
रांची में रन फॉर विजन की शुरुआत करने वाली कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल की डॉ भारती कश्यप कहती हैं कि कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए झारखंड सरकार को कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं करना पड़ा. इन्फ्रा से लेकर मैन पावर तक पर सरकार को कुछ खर्च नहीं करना होता है.

हर साल 2.5 लाख कॉर्निया की जरूरत, मिलते हैं 50 हजार
उन्होंने बताया कि भारत में हर साल करीब एक करोड़ लोगों की मृत्यु हो जाती है. इनमें से महज 50,000 लोगों की ही कॉर्निया मरणोपरांत आई बैंक को नेत्रदान के माध्यम से मिल पाती हैं. डॉ कश्यप ने बताया कि भारत में हर साल 2.5 लाख कॉर्निया की जरूरत है, लेकिन नेत्रदान के अभाव में 30 हजार से ज्यादा लोगों को आंखों की रोशनी नहीं मिल पाती.
ब्लाइंड फोल्डेड रन फॉर विजन क्यों?
यही वजह है कि वह 7 साल से ब्लाइंड फोल्डेड रन फॉर विजन का आयोजन कर रहीं हैं, ताकि लोग समझ सकें कि आंखें नहीं होने पर दुनिया किस कदर बेरंग हो जाती है. दरअसल, ब्लाइंड फोल्डेड रन में लोगों की आंखों पर काली पट्टी बांध दी जाती है और तब उन्हें दौड़ना होता है.
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