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Watch Video: रवि शास्त्री ने गौतम गंभीर पर बोला सीधा हमला, टेस्ट में टीम इंडिया की हार पर ऐसे निकाला गुस्सा

Ravi Shashtri Exclusive Interview: रवि शास्त्री एक बेहतर ऑलराउंडर थे, जो बायें हाथ के स्पिन गेंदबाज के साथ-साथ मजबूत बल्लेबाज भी थे. वह वर्ष 2017 से 2021 तक टीम इंडिया के मुख्य कोच रहे. क्रिकेट की दुनिया में बतौर कमेंटेटर भी सक्रिय रहे. प्रभात खबर ने उनसे भारतीय क्रिकेट से उनके जुड़ाव, प्रगति और वर्तमान स्थिति पर बातचीत की. आप भी पढ़ें.

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Ravi Shashtri Exclusive Interview: रवि शास्त्री भारतीय क्रिकेट जगत का अहम और चेहरा गवाह रहे हैं. क्रिकेट में हो रहे बदलाव से रू-ब-रू होते रहे हैं. वर्ष 2017 से 2021 तक मुख्य कोच की भूमिका में भी रहे. अब बतौर कमेंटेटर खेल जगत से जुड़े हैं. उन्होंने वर्ष 1981 से 1992 तक टेस्ट और वनडे में भारत का प्रतिनिधित्व किया. रवि शास्त्री एक बेहतर ऑलराउंडर थे, जो बायें हाथ के स्पिन गेंदबाज के साथ-साथ मजबूत बल्लेबाज भी थे. वह वर्ष 2017 से 2021 तक टीम इंडिया के मुख्य कोच रहे. क्रिकेट की दुनिया में बतौर कमेंटेटर भी सक्रिय रहे. प्रभात खबर ने उनसे भारतीय क्रिकेट से उनके जुड़ाव, प्रगति और वर्तमान स्थिति पर बातचीत की.

5 वर्षों में भारत ने काफी अच्छा क्रिकेट खेला है – रवि शास्त्री

इस दौरान रवि शास्त्री ने कहा- पिछले 5 वर्षों में मैं कहूंगा कि हमने काफी अच्छा क्रिकेट खेला है. एक कोच के रूप में मेरा कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण रहा. मैं एक खिलाड़ी और ब्रॉडकास्टर रहा हूं, लेकिन बतौर कोच यह काम काफी मुश्किल भरा रहा. कोच के रूप में काफी रिस्पांसिबिलिटी होती है. लोगों की उम्मीद पर खरा उतरना सबसे बड़ी चुनौती होती है. हर मैच जीतने का दबाव होता है.

रवि शास्त्री ने गौतम गंभीर पर बोला सीधा हमला

गुवाहाटी टेस्ट में भारतीय टीम की शर्मनाक हार पर नाराज रवि शास्त्री ने चीफ कोच गौतम गंभीर पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा- एक समय भारतीय टीम का स्कोर एक विकेट के नुकसान पर 100 रन था और फिर 130 में 7 विकेट. भारतीय टीम इतनी भी खराब नहीं है. बिना नाम लिए गंभीर पर हमला करते हुए शास्त्री ने कहा- जिम्मेदारी तो लेनी चाहिए. मैं अगर होता, तो इस हार की पूरी जिम्मेदारी लेता, हां लेकिन फिर खिलाड़ियों को भी नहीं छोड़ता.

Ravi Shashtri Exclusive With Prabhat Khabar News Today

मैंने क्रिकेट झारखंड (तत्कालीन बिहार) से शुरुआत की. मैंने 17 वर्ष की उम्र में जमशेदपुर से रणजी ट्रॉफी से अपने करियर की शुरुआत की. तब बिहार एक मजबूत टीम हुआ करती थी. रंजीत सिंह, रमेश सक्सेना, हरि गिडवानी और रणधीर सिंह जैसे खिलाड़ी थे. मेरी मां पटना वीमेंस कॉलेज में पढ़ती थीं.

Ravi Shashtri Exclusive: प्रदर्शन खराब होने पर निकाले जा सकते हैं टीम से

रवि शास्त्री ने कहा कि अगर प्रदर्शन खराब हुआ, तो आपको निकाला जा सकता है. इसलिए आपको धैर्य बनाये रखना होगा. यहां कम्युनिकेशन और मैन मैनेजमेंट स्किल काफी मायने रखता है. तभी आप खिलाड़ियों को जीत के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. और हमने वही किया है. सबसे बड़ी बात है कि आप जो भी करें, उसका आनंद उठायें. उसे प्रेशर के रूप में नहीं लेना चाहिए.

Ravi Shashtri Exclusive With Prabhat Khabar News
रवि शास्त्री के साथ रिंकू लोहिया और प्रभात खबर डिजिटल के संपादक जनार्दन पांडेय. फोटो : प्रभात खबर

क्रिकेट आपकी जिंदगी का अहम हिस्सा है. पहले एक क्रिकेटर, फिर कोच और अब कमेंटेटर के रूप में आप सेवा दे रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में क्रिकेट में कितना बदलाव आया है?

मैं पिछले 45 वर्षों से क्रिकेट से जुड़ा रहा हूं. 1983 में जब मैं 20-21 वर्ष का था, तब हमने विश्व कप जीता. उस दिन से लोग क्रिकेट और क्रिकटरों को गंभीरता से लेने लगे. इस खेल ने अपने देश को दुनिया में पहचान दिलायी. उस दिन लॉर्ड्स में जो कुछ भी हुआ, उसने सब कुछ बदल कर रख दिया.

न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच क्लीन स्वीप की जिम्मेदारी किसे लेनी चाहिए?

पूरी टीम को, टीम मैनेजमेंट से लेकर खिलाड़ियों तक को. इसके लिए कोई एक जिम्मेदार नहीं है. यह कलेक्टिव डिसिजन है. दक्षिण अफ्रीका ने भारत को हराया है, किसी एक खिलाड़ी ने नहीं. दक्षिण अफ्रीका ने एक टीम के रूप में खेला.

यदि शमी जैसे खिलाड़ी फिट रहें और उन्हें टीम में नहीं चुना जाये, तो क्या करें?

इसमें चयनकर्ता की अहम भूमिका होती है. यहां कोच के साथ कम्युनिकेशन होना चाहिए. जब मैं कोच था, तो मैं चयनकर्ताओं को नहीं कहता था कि मुझे यह खिलाड़ी चाहिए. मैं सिर्फ यह बोलता था कि मुझे यह कॉम्बिनेशन चाहिए. अब यह काम आपका है. आप फर्स्ट क्लास क्रिकेट देखते हो. आप नयी प्रतिभाओं की खोज के लिए पूरे देश में घूमते हो. आपकी रिस्पांसिबिलिटी है कि आप मुझे वह कॉम्बिनेशन दें, जिसकी मुझे जरूरत है. मैं खुद खिलाड़ियों से पूछता हूं कि क्या कोई अच्छा खिलाड़ी दिखा. अगर वह बताते हैं, तो मैं इसकी जानकारी सेलेक्टर्स तक पहुंचा देता हूं. जैसे बुमराह और रिषभ हैं. हालांकि बुमराह को आपने व्हाइट बॉल खिलाड़ी बनाकर रखा था, आज वह रेड बॉल खिलाड़ी कैसे बन गया. बुमराह तो ‘दादा’ है.

आपके अनुसार, भारतीय टीम में इस समय सबसे आइकॉनिक खिलाड़ी कौन है?

यह कहना अभी काफी जल्दबाजी होगी, क्योंकि यह एक युवा टीम है, जो अभी ट्रांजिशन के दौर से गुजर रही है. लेकिन यदि मैं पिछले एक दशक की बात करूं, तो टेस्ट फॉर्मेट में विराट कोहली सबसे इंफ्लूएंशियल खिलाड़ी हैं. न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि वह पूरे विश्व क्रिकेट के एंबेस्डर हैं. यदि वर्ल्ड क्लास प्लेयर की बात करें, तो बुमराह को देखें. पिछले छह वर्ष की अवधि में वह सभी फॉर्मेट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं. बुमराह के अंदर जो स्किल है, उनके सामने बल्लेबाजी करते हुए आपको काफी ध्यान रखना होगा. उनके पास गेंद को स्विंग कराने की एबिलिटी है.

किसी भी खेल के लिए मेंटल स्ट्रेंथ की जरूरत होती है. आप एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एक ओवर में छह छक्के जड़े हैं और सर गैरी सोबर्स के रिकॉर्ड की बराबरी की है. ऐसा प्रदर्शन करने के लिए एक खिलाड़ी को किस प्रकार के माइंडसेट से खेलना होता है. वह भी हाई प्रेशर मैचों में शांतचित्त रहते हुए.

ऐसा प्रदर्शन करना आसान नहीं होता. अनुभव, एक्सपोजर और दबाव वाली परिस्थिति के लिए अभ्यास करने से ही ऐसा करना संभव हो पाता है.

भारतीय क्रिकेट टीम के पिछले चार कोच रवि शास्त्री, अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़ और गौतम गंभीर को रेट करना हो, तो कैसे करेंगे?

मैं खुद को कैसे रेट करूंगा. मैंने सात वर्षों तक कोचिंग का काम किया और इसे मैंने काफी एंजॉय किया. जब आप खेलते हो, तो हाथ में बैट या बॉल होता है. जब आप कमेंट्री करते हो, तो आपके हाथ में माइक होता है, जिसे आप कंट्रोल कर सकते हो. लेकिन जब आप बतौर कोच फील्ड पर जाते हो, तो आपके हाथ में कुछ नहीं होता है. सब खिलाड़ियों के हाथ में होता है.

स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए बहुत सारे पोस्टर्स देखे हैं. आपको क्या लगता है कमेंटेटर्स के लिए भी पोस्टर लगने चाहिए?

अच्छा लगता है कि जब फैंस आपको एंजॉयबल मूड में सुनते हैं. एक चीज हमेशा याद रखनी चाहिए कि जो आपको बनाते हैं, वह फैंस होते हैं. जब मैं ईडन गार्ड्स में जाता हूं, तो देखता हूं कि वहां के लोगों की एनर्जी और पैशन जबर्दस्त है. टेस्ट मैचों में भारतीय टीम के हाल के प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों को भी रिस्पांसिबिलिटी लेनी चाहिए. क्योंकि आपने बचपन से स्पिन खेला है. कोच गौतम गंभीर को भी जिम्मेवारी लेनी चाहिए. मैं वहां रहता, तो जरूर लेता. गलती स्वीकार करना बड़ी बात होती है, तभी आप बेहतर खिलाड़ी बन सकते हैं.

आपको कौन सा कप सबसे ज्यादा पसंद है. कॉफी वाला कप, क्रिकेट का कप या कोई और कप?

मैं क्रिकेट देखना एंजॉय करता हूं. जब मैं कोच था, तो काफी एंजॉय करता था. हम जीतने के लिए खेलते हैं. आप सभी 11 खिलाड़ियों से अच्छा करने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. लेकिन अगर छह-सात खिलाड़ी कंसिस्टेंट प्रदर्शन करते हैं, तो आप अधिक मैच जीत सकते हैं. तैयारी भी बहुत जरूरी है.

आप बहुत अच्छे स्टोरी टेलर हैं. आपके पास कई कहानियां हैं. ड्रेसिंग रूम की कोई रोचक घटना बतायें.

मैं ड्रेसिंग रूम को मंदिर के जैसा मानता हूं. वहां की बातें, वहीं रहे. जब कोई खिलाड़ी रिटायर हो, तभी उससे इस बारे में पूछें.

आपकी ऑडी की काफी चर्चा है.

ये होना भी चाहिए. ऐसा रिकॉल फैक्टर कहां मिलेगा. ये बहुत बड़ा इवेंट था. 1983 में जब हम जीते, तो लोगों को लगा कि गलती से हम जीत गये. फिर हम ऑस्ट्रेलिया गये. वहां भी जीते. वहां हमने पाकिस्तान को दो बार हराया. ये सब यादें लोगों के दिमाग में आज तक हैं. इयान चैपल मेरा इंटरव्यू कर रहे थे. पीछे सभी खिलाड़ी आकर बैठ गये. मैंने चाबी ली और कहा- आ रहा हूं और वहां से निकल पड़ा. ऑडी के अलावा जब युवराज ने छह छक्के मारे, तब भी मुझे बहुत मजा आया था. तब मैं कमेंट्री बॉक्स में था. जब मैंने छह छक्के मारे थे, तब टेलीविजन जैसी कोई चीज नहीं थी. वहां 15-20 हजार दर्शक थे. वह उसके गवाह बने. फिर 2011 में हमारे होम स्टेट में मुंबई में वर्ल्ड कप जीतना अलग ही फील कराता है. लेकिन हमने ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराया, वह सबसे बड़ी बात है, वह भी रेड बॉल क्रिकेट में काफी मायने रखता है. आज उसी ऑस्ट्रेलिया ने एशेज में इंग्लैंड को दो दिनों में हरा दिया. ऑस्ट्रेलिया में पहली बार जब हम जीते, तो विव रिचर्ड्स और इमरान खान का मैसेज आया कि आपने कमाल कर दिया. फिर जब हम दूसरी बार जीते, तब वसीम अकरम ने मुझे कहा कि हम तो वहां गये सबसे अच्छे तेज गेंदबाजों के साथ, लेकिन यह नहीं कर पाये. फिर कोविड के समय क्रिकेट का सबसे कठिन समय आया.

आपकी कई आइकॉनिक कमेंट्री लाइंस हैं और लोग आपकी कमेंट्री के फैन हैं. आपकी सबसे पसंदीदा लाइन क्या है?

ऐसी बात नहीं है. ये सब स्वाभाविक है. उस टाइम पर जो आता है, मैं वही बोलता हूं. लाइव टेलीविजन में यदि आप पढ़ कर बोलते हो और कुछ भूल जाते हो, तो आप ब्लैंक हो जाते हो.

टेस्ट और टी-20 क्रिकेट से रोहित-कोहली संन्यास ले चुके हैं. आगे आइपीएल आनेवाला है. वनडे भी ज्यादा नहीं होनेवाले हैं. 2027 में वनडे वर्ल्ड कप होनेवाला है. आपको क्या लगता है कि ये दोनों खिलाड़ी 2027 का वर्ल्ड कप खेल सकते हैं?

ये सब उनकी फिटनेस पर निर्भर है. फिटनेस के साथ दोनों रनों के कितने भूखे हैं, इन सब पर डिपेंड करता है. इसके अलावा अनुभव, जो मार्केट में नहीं मिलता है. ये दोनों ‘दादा’’ खिलाड़ी हैं. व्हाइट बॉल के जायंट्स. एक मास्टर चेजर, दूसरा हिटमैन, जिसकी तीन दोहरी सेंचुरी है. ऐसे खिलाड़ियों की उम्र से कोई लेना-देना नहीं है. सभी उनकी रनों की भूख और फिटनेस पर ही निर्भर है.

भारत की लड़कियों ने विश्व कप जीता. इस पर क्या कहेंगे?

मैंने तो पहले ही कहा था कि वह लोग विश्व कप की जीत से दूर नहीं हैं. पिछले 12 महीने में मैंने कई बार यह बात कही थी. तीन मैच हारने के बाद मैंने ट्वीट किया था कि आपके पास हारने के लिए कुछ नहीं है. आगे के तीनों मैच जीतने हैं. तब मैं ऑस्ट्रेलिया में था. लड़कियों ने पूरे ऑस्ट्रेलिया को चुप करा दिया. खास कर जेमिमा रोड्रिग्स ने. जेमिमा एक जेम है.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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