रांची (राजेश तिवारी). आज विश्व विरासत दिवस (वर्ल्ड हैरिटेज डे) है. इसका उद्देश्य है : लोगों के बीच मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों के प्रति जागरूकता लाना है. इस वर्ष की थीम है : आपदाओं और संघर्षों से खतरे में पड़ी विरासत: आइसीओएमओएस की 60 वर्षों की कार्रवाइयों से तैयारी और सीख. यह दिन काफी खास होता है. क्योंकि धरोहरें सिर्फ इतिहास नहीं, पहचान भी देती हैं. अपना झारखंड भी अपने अंदर कई विरासतों को समेट कर रखा है. झारखंड में 13 स्मारक हैं, जिन्हें राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है. वहीं, तीन स्मारकों को राज्य सरकार ने राज्य संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया है. हालांकि कुछ धरोहरें ऐसी भी हैं, जो सूची में शामिल भले न हों पर उनका ऐतिहासिक महत्व कम नहीं है. इसी में शामिल है रांची स्थित कमिश्नरी हाउस. इसकी इमारत 175 वर्ष पुरानी है. आज इसे प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के नाम से जाना जाता है. इस भवन का निर्माण अंग्रेजों ने वर्ष 1850 में किया था.
पांच से छह हजार वर्ग फीट में फैला है कमिश्नर हाउस
यह कमिश्नर हाउस लगभग पांच से छह हजार वर्ग फीट में फैला है. इस भवन में करीब 11 कमरे हैं. एक कमरा करीब 30 गुना 16 वर्गफीट का है. यही नहीं, कुछ कमरों का फर्श वुडेन है.30 से 40 किलो वजन वाले पंखे
इस भवन में अंग्रेजों के समय के पंखे भी हैं, जिसका आज भी इस्तेमाल हो रहा है. एक पंखा का वजन 30-40 किलो है. वहीं, अंग्रेज के समय की कुछ दुर्लभ मूर्तियां भी हैं, जो आज भी कमिश्नर चेंबर की शोभा बन रही हैं.छोटानागपुर प्रमंडल के पहले कमिश्नर थे जेएच क्रोफोर्ड
1850 में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त जेएच क्रोफोर्ड हुआ करते थे. वह 1850 से 1853 तक इस पद पर रहे. उनके बाद डब्ल्यूजे एलैन आयुक्त बने और वह 1857 तक इस पद पर रहे. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के कार्यालय में कई कुर्सियां आज भी रखी हुईं हैं.झारखंड गठन के बाद फूल सिंह बने पहले आयुक्त
वर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद आइएएस अधिकारी फूल सिंह 15 नवंबर 2000 को दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त बने. तब से अब तक इस भवन ने 27 आयुक्तों को देखा है. वर्तमान में 27वें आयुक्त के तौर पर अंजनी कुमार मिश्रा सेवारत हैं.चौंकानेवाली कहानी…गबन के पैसे से बना था भवन
कहा जाता है कि राबर्ट ओमने, जो लोहरदगा डिवीजन के प्रिंसिपल असिस्टेंट थे, उन्होंने सरकारी खजाने से 12,000 गबन कर यह भवन बनवाया था. यह उनका निजी विशाल भवन था. आज आयुक्त के कार्यालय के रूप में विद्यमान है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है