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चमकेगी झारखंड की किस्मत, IT हब बनेगी रांची, Google, TCS और Wipro जैसी कंपनियां देंगी लाखों युवाओं को रोजगार

Ranchi IT Hub: झारखंड की किस्मत चमकने वाली है. रांची को आईटी हब बनाने की तैयारी चल रही है. अगर ऐसा हुआ, तो पलायन रुकेगा. ब्रेन ड्रेन पर रोक लगेगी. राज्य की अर्थव्यवस्था में बूम आयेगा. गूगल, टीसीएस और विप्रो जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों के ऑफिस रांची में खुलेंगे.

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Ranchi IT Hub: आप कल्पना कर सकते हैं? झारखंड जो कभी खनन और कृषि पर निर्भर थी, अब सिलिकॉन वैली की तरह चमकने वाली है! इंस्टाग्राम पर एक रील वायरल है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि गूगल, टीसीएस और विप्रो जैसी दिग्गज आईटी कंपनियां रांची में कदम रखने वाली हैं। कैप्शन साफ कहता है, ‘आईटी हब बनेगी रांची. गूगल, टीसीएस और विप्रो जैसी कंपनियां शुरू करेंगी काम.’

दिग्गज कंपनियों की एंट्री से बदलेगा झारखंड का भविष्य

यह सिर्फ देश-दुनिया की दिग्गज कंपनियों की एंट्री नहीं होगी. झारखंड के भविष्य की कहानी होगी. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे रील में तेज बैकग्राउंड म्युजिक के साथ रांची के हाई-टेक विजन की झलक दिखती है. चमचमाते ऑफिस कॉम्प्लेक्स, कोडिंग करने वाले युवा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की क्लिप्स. इसमें वे निवेशकों से बात कर रहे हैं.

Ranchi IT Hub: सिर्फ कोयले का नहीं, कोड का राज्य बनेगा झारखंड

विजुअल्स में रांची के मौजूदा आईटी पार्क की तस्वीरें हैं, जो जल्द ही गूगल के डेटा सेंटर्स और टीसीएस के ट्रेनिंग सेंटर्स से भर जायेंगे. झारखंड अब सिर्फ कोयले का नहीं, कोड का राज्य बनेगा.

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2030 तक आईटी सेक्टर को बूस्ट देने का प्लान

राज्य सरकार की ‘झारखंड विजन 2030’ के तहत आईटी सेक्टर को बूस्ट देने का प्लान चल रहा है. हाल ही में दिल्ली में आयोजित इन्वेस्टर्स मीट में सीएम सोरेन ने 5,000 करोड़ का एमओयू साइन किया, जिसमें गूगल क्लाउड सर्विसेस और टीसीएस का सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर शामिल है. विप्रो ने भी पुष्टि की है कि वह रांची में 2,000 सीट्स का सेंटर खोलेंगे.

50.000 डायरेक्ट और 1.5 लाख इनडायरेक्ट जॉब

विशेषज्ञों का कहना है कि इससे 50,000 से ज्यादा डायरेक्ट जॉब्स और 1.5 लाख इनडायरेक्ट रोजगार के अवसर पैदा होंगे. रांची के आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों से निकलने वाले इंजीनियर्स अब बेंगलुरु या हैदराबाद जाने की बजाय घर लौटेंगे. यह माइग्रेशन का अंत होगा.

अवसर से पहले हैं कई चुनौतियां

हालांकि, चुनौतियां भी हैं. इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्किल डेवलपमेंट और बिजली की आपूर्ति. सरकार ने इसके लिए 1,000 करोड़ रुपए का फंड अलॉट किया है. अगर योजना पर अमल होता है, तो न सिर्फ झारखंड की इकोनॉमी को बूस्ट देगा, बल्कि ब्रेन ड्रेन भी रोकेगा. आदिवासी बहुल राज्य में यह समावेशी विकास का मॉडल बनेगा. ट्राइबल यूथ को कोडिंग की ट्रेनिंग से सशक्त बनायेगा.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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