मैक्लुस्कीगंज के रास्ते हाइवा से कोयला ट्रांसपोर्टिंग
फिर ना हो जाये कोई बड़ा हादसा, खनन विभाग और पुलिस मौन
सड़क पर चलते समय दहशत में रहते हैं ग्रामीण और विद्यार्थी
प्रतिनिधि, मैक्लुस्कीगंज
मैक्लुस्कीगंज के रास्ते हाइवा डंपर से कोयला ट्रांसपोर्टिंग से लोगों को परेशानी हो रही है. विद्यार्थी जान जोखिम में डालकर सड़क पर चलते हैं. बघमरी, हेसालौंग, कोनका, लपरा के रास्ते कोयला ट्रांसपोर्टिंग चरम पर है. कोयला ढुलाई में लगभग दो दर्जन से अधिक हाइवा को लगाया गया है, जिससे मार्ग पर चलने वाले राहगीरों और आमजनों को धूल-गर्द, ट्रैफिक आदि की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों संग अभिभावकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हाइवा डंफरों के परिचालन के बीच जान जोखिम में डालकर चलने को विवश हैं. स्कूल वैन, अभिभावकों संग विद्यार्थी. वहीं, ट्रिप को लेकर हाइवा तेज़ गति में चलते हैं. ऐसे में रेलवे फाटक जल्द से जल्द पार करने की होड़ रहती. इससे अक्सर फाटक पर जाम की स्थिति उतपन्न हो जाती है. ज्ञात हो कि मैक्लुस्कीगंज पर्यटन के साथ-साथ एजुकेशन हब के नाम से विख्यात है. एक ओर जहां देश विदेश से पर्यटकों का आना-जाना पूरे वर्ष मैक्लुस्कीगंज में लगा रहता है. वहीं, गंज स्थित शिक्षण संस्थानों में झारखंड सहित अन्य राज्यों से विद्यार्थी छात्रावासों में रहकर पठन-पाठन करने में लीन हैं. विद्यालय आवागमन में भारी वाहनों का परिचालन परेशानी का सबब बना हुआ है. दुर्घटना की भी संभावना बनी रहती है. इस बाबत स्थानीय ग्रामीणों सहित अन्य प्रबुद्धजनों ने विद्यार्थियों, ग्रामीणों व आमजनों की समस्याओं से स्थानीय प्रशासन को अवगत कराते हुए हाइवा डम्फर से कोयला ढुलाई पर अंकुश लगाने की मांग की है.
स्कूल की छुट्टी के समय सावधानी जरूरी
विद्यालय के समय और छुट्टी के समय बड़े वाहनों के परिचालन पर नो एंट्री लगाने की मांग की है. समस्या को लेकर ग्रामीण एसपी सुमित कुमार अग्रवाल सहित एसडीओ रांची को भी ज्ञापन दिया गया है. लेकिन दुर्भाग्यवश हाइवा डंपर के परिचालन पर न ही नो एंट्री लगायी गयी और न ही गति पर अंकुश लगाया गया. इससे राहगीरों, विद्यार्थियों, पर्यटकों व स्थानीय ग्रामीणों के समक्ष परेशानी यथावत बनी हुई है.
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