रांची. संस्कृत भारती रांची के महानगर अध्यक्ष डॉ श्रीप्रकाश सिंह ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा ही नहीं, अपितु मानव निर्माण की पाठशाला है. संस्कृत पढ़ने वाले लोग स्वावलंबी होने के साथ-साथ राष्ट्र की उन्नति के लिए तत्पर रहते हैं. डॉ सिंह रविवार को संस्कृत भारती द्वारा आयोजित क्षेत्रीय प्रशिक्षण वर्ग में प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आज संस्कृत पढ़ने वाले हर छात्र को रोजगार भी सरलता से प्राप्त हो रही है. संस्कृत भाषा में अंर्तनिहित ज्ञान भारत का मूलाधार है.
वैज्ञानिकता एवं दार्शनिकता से परिपूर्ण है संस्कृत
संस्कृत भारती के अखिल भारतीय मंत्री नंद कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा होने के साथ-साथ वैज्ञानिकता एवं दार्शनिकता से परिपूर्ण है. आधुनिक काल में ब्रिटिश विद्वानों को जब इस प्राचीनतम भाषा का ज्ञान हुआ, तो उन्हें संस्कृत में विश्व की अन्य प्राचीन एवं आधुनिक भाषाओं का अक्षय स्रोत दिखने लगा. इससे तुलनात्मक भाषाशास्त्र का जन्म हुआ. जिसके कारण इस भाषा ने किस भाषा से क्या लिया और क्या दिया विषय पर अनुसंधान शुरू हुआ. भाषा वैज्ञानिकों को यह भी पता चला कि अन्य भाषाएं जहां सिर्फ दूसरों के साथ ही जोड़ती हैं, वहां संस्कृत भाषा व्यक्ति को स्वयं के आंतरिक जगत से भी जोड़ती है. कार्यक्रम में सर्वेश मिश्र, विनय पांडेय, पृथ्वीराज सिंह, दीपचंद राम कश्यप, राम अचल यादव, राजूदेव, अंशुमान आदि उपस्थित थे.
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