पर्युषण पर्व के दूसरे दिन जैन मंदिर डोरंडा व दिगंबर जैन भवन में पूजा के बाद प्रवचन
रांची. पर्युषण पर्व के दूसरे दिन जैन मंदिर डोरंडा व दिगंबर जैन भवन में पूजा के बाद प्रवचन हुआ. इस दिन को स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया. श्री दिगंबर जैन भवन में उपासिका संतोष श्रीमाल व सीमा डूंगरवाल का प्रवचन हुआ. श्रीमाल ने स्वाध्याय के ऊपर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वाध्याय आत्मदर्शन का दर्पण है. यह हर व्यक्ति की आत्मा पर जमी हुई कालिमा को दूर कर व्यक्तित्व को सजाता-संवारता है. स्वाध्याय से हमारे पूर्व संचित कर्मफल की विशुद्धि होती है. स्वाध्याय करते-करते साधक आत्मविद्या को प्राप्त होता है. उन्होंने आगे कहा कि स्वाध्याय एक महकता गुलशन है, जिसके सौरभ से मन प्रसन्न होता है. श्रीमती डुंगरवाल ने स्वाध्याय की महत्ता को उजागर करते हुए अपनी बातों को रखा व गीतिका प्रस्तुत की. इस अवसर पर अध्यक्ष बिमल दस्सानी, अमर चंद बैगानी, कोमल गेलड़ा, प्रकाश नाहटा, मूलचंद सुराणा, राजेश पींचा, ललित सेठिया के अलावा काफी संख्या मे श्रावक व श्राविकाएं उपस्थित थीं.श्री जैन मंदिर डोरंडा में सुबह सात बजे नमिनाथ भगवान की प्रक्षाल व स्नात्र पूजा हुई. मुंबई से पधारे स्वाध्यायी हर्षिल सुरेश साह व जिनांग धीरेन साह का प्रवचन हुआ. उन्होंने पर्व में किये जानेवाले पांच कर्तव्यों के बारे में बताया. इस अवसर पर ज्ञान शाला व शाम में दोनों जगह पर प्रतिक्रमण के पश्चात भक्ति संध्या की गयी. मंदिर में अध्यक्ष संपत लाल रामपुरिया, धर्मचंद भंसाली, प्रमोद बोथरा, अनिल कोठरी, विनय नाहटा उपस्थित थे.
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