NEET, JEE Main Exam 2020 : रांची : JEE Main और NEET- UG की होनेवाली परीक्षा के मुद्दे पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वीडियो कांफ्रेंसिंग में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (Congress leader Abhishek Manu Singhvi) से बातचीत किये. इस दौरान सीएम श्री सोरेन ने कहा कि ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन- मेन ( JEE-MAIN) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-यूजी (NEET-UG) की 1 सितंबर से शुरू हो रही परीक्षा को वे रद्द करने की मांग नहीं कर रहे हैं. लेकिन, जिस रफ्तार से पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus infection) के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे हालात में इन दोनों परीक्षाओं को स्थगित किया जाना चाहिए. इसके बावजूद केंद्र सरकार जेईई-मेन और नीट-यूजी के आयोजन को लेकर हठधर्मिता दिखा रही है. मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार शॉर्ट पीरिएड में दोनों परीक्षाओं को लेने पर अड़ी है. इन परीक्षाओं के आयोजन से जहां कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा, वहीं राज्य सरकारों की भी मुश्किलें बढ़ेंगी.
इस मौके पर कांग्रेसी नेता श्री सिंघवी ने बताया कि जेईई- मेन और नीट- यूजी को स्थगित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन (Review petition) दाखिल किया गया है. उन्होंने इस याचिका में इन दोनों परीक्षाओं को स्थगित किये जाने के लिए जो तर्क दिये हैं, उससे अवगत कराया.
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मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा कि पिछले 5 माह से देश के सभी स्कूल- कॉलेज बंद हैं. विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, लेकिन जेईई-मेन और नीट की परीक्षा हर हाल में लेने पर केंद्र सरकार अड़ी है. इससे पहले ये दोनों परीक्षाएं अप्रैल और जून में स्थगित की जा चुकी हैं, पर अब इन परीक्षाओं को जल्दबाजी में लेने जा रही है. कहीं न कहीं इन परीक्षाओं के आयोजन के साथ सरकार बड़े रिस्क की ओर बढ़ रही है. यह हम सभी के लिए गंभीर चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि देश में कोरोना संक्रमण के लगभग 34 लाख मामले सामने आ चुके हैं. मौत का आंकड़ा 60 हजार को पार कर चुका है. वर्तमान में इस महामारी का कोई कारगर इलाज भी नहीं है. ऐसे में अगर इन दोनों परीक्षाओं के होने से विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के साथ कोई घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जेईई-मेन और नीट-यूजी में लगभग 25 लाख विद्यार्थी शामिल होंगे. लेकिन, यह सिर्फ 25 लाख विद्यार्थियों से जुड़ा मामला नहीं है. इन दोनों परीक्षाओं में लाखों छात्राएं भी शामिल होंगी. इन छात्राओं के साथ उनके अभिभावक भी रहेंगे. इसके साथ कई वाहनों के ड्राइवर भी होंगे. इतना ही नहीं, कई विद्यार्थी दूर-दराज के इलाकों से परीक्षा देने जाएंगे. उनके लिए इस परीक्षा में शामिल होना सिर्फ एक दिन की बात नहीं, बल्कि 2-3 दिनों का मसला है. होटल और लॉज बंद हैं. ऐसे में वे कहां रहेंगे. यह भी गंभीर मसला है. ऐसे में अगर किन्हीं वजहों से कोरोना का खतरा और बढ़ता है तो मुश्किलें और भी बढ़ जायेगी, पर केंद्र सरकार को शायद इससे कोई लेना-देना नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट में परीक्षाओं का आयोजन खतरनाक है. ऐसे में इन दोनों परीक्षाओं के आयोजन के विकल्प पर केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए था. इसमें राज्य सरकारों की भी सहमति ली जानी चाहिए थी. पर, लगता है केंद्र को इससे कोई लेना-देना नहीं है. वह विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की अनदेखी करते हुए परीक्षा लेने पर अड़ी है. उन्होंने यह भी कहा कि जेईई- मेन और नीट के आधार पर चयनित इंजीनियरिंग और मेडिकल के विद्यार्थियों का सेशन 4-5 सालों का होता है. ऐसे में समय प्रबंधन को लेकर शिक्षा विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए, ताकि पढ़ाई और सेशन के बीच समन्वय बन सके और विद्यार्थियों को किसी तरह का नुकसान नहीं हो.
श्री साेरेन ने कहा कि अगर केंद्र सरकार जेईई-मेन और नीट परीक्षा लेना ही चाहती है, तो उसे कैसे सुरक्षित तरीके से आयोजित किया जाये, इस पर राज्य सरकारों से चर्चा करनी चाहिए थी. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस बात को लेकर भी तैयारी कर रही है कि अगर परीक्षाएं होती हैं, तो विद्यार्थियों के लिए इसे कैसे सुरक्षित बनाया जा सकता है.
Posted By : Samir Ranjan.