रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर की स्थिति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने कहा कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर शून्य रहे, राज्य सरकार इसे सुनिश्चित करे. खंडपीठ ने माैखिक रूप से सरकार से पूछा कि झारखंड में कितने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं. इनमें कितने पद स्वीकृत हैं और कितने खाली पड़े हैं. भवन की क्या स्थिति है. कितने नये व कितने पुराने हैं. उसमें इंफ्रास्ट्रक्चर की क्या स्थिति है. दवा-उपकरण उपलब्ध हैं या नहीं. इसके अलावा खंडपीठ ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि झारखंड के सुदूर ग्रामीण इलाकों में सांप के डंसने की काफी घटनाएं होती हैं. इससे होनेवाली मौत को रोकने के लिए प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी वेनम इंजेक्शन हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए. खंडपीठ ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर विस्तृत शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई दो मई को होगी. इससे पूर्व मामले के एमीकस क्यूरी अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने खंडपीठ को बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बेहतर बनाने की जरूरत है. यहां विशेषज्ञ चिकित्सक, जांच उपकरण तथा पर्याप्त मात्रा में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए.
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पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर शून्य रहे, सरकार इसे सुनिश्चित करे : हाइकोर्ट
राज्य सरकार को तीन सप्ताह के अंदर विस्तृत शपथ पत्र दायर कर ने का दिया निर्देश.
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