रांची (उत्तम महतो). राजधानी रांची में कुछ लाख की पूंजी लगाकर गली-मोहल्लों में अवैध रूप से संचालित जार वाटर प्लांटों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बिना लाइसेंस इन प्लांटों के जरिए जहां भूगर्भ जल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, वहीं नगर निगम की गाइडलाइन को भी सरेआम दरकिनार किया जा रहा है. नगर निगम द्वारा शहर में संचालित सभी जार वाटर प्लांटों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने का निर्देश दो जनवरी को जारी किया गया था. अंतिम तिथि दो अप्रैल रखी गयी थी. इस निर्देश का असर महज 55 संचालकों पर ही पड़ा, जबकि निगम के अनुमान के अनुसार शहर में 1000 से अधिक जार वाटर प्लांट संचालित हो रहे हैं.
नोटिस के बाद भी नहीं लिया सबक
फरवरी से मार्च तक नगर निगम की ओर से अभियान चलाकर 200 से अधिक प्लांटों को नोटिस जारी किया गया था. लेकिन, इनमें से अधिकांश ने न तो लाइसेंस के लिए आवेदन दिया और न ही संचालन बंद किया. निगम अब इन पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है.निगम की शर्तें और शुल्क
रजिस्ट्रेशन शुल्क 5000 रुपये, वार्षिक शुल्क 20000 रुपये, आधार कार्ड, कंपनी/फर्म रजिस्ट्रेशन, बिजली बिल, होल्डिंग टैक्स रसीद, केंद्रीय भूगर्भ जल प्राधिकरण का एनओसी, रेन वाटर हार्वेस्टिंग का प्रमाण पत्र. ड्राई जोन में संचालित प्लांटों को लाइसेंस नहीं मिलेगा, जबकि सेफ जोन में स्थित प्लांटों को तय शर्तों के आधार पर अनुमति दी जायेगी.भूगर्भ जलस्तर में तेजी से गिरावट
अवैध जार वाटर प्लांटों के कारण कई इलाकों में भूगर्भ जलस्तर में काफी गिरावट आयी है. लोगों ने बताया कि अवैध प्लांट की भरमार होने के कारण वाटर लेवल एक साल में करीब एक मीटर नीचे चला गया है. इस कारण इलाके में लगे ज्यादातर हैंडपंपों की बोरिंग फेल हो गयी हैं और सिर्फ सबमर्सिबल पंप ही काम कर पा रहे हैं. अवैध वाटर प्लांटों में रोजाना लाखों लीटर पानी का दोहन हो रहा है.अब होगी सख्त कार्रवाई
नगर निगम के उप प्रशासक गौतम साहू ने कहा कि लाइसेंस के लिए दी गयी समय सीमा समाप्त हो चुकी है. अब बचे हुए अवैध प्लांटों पर सीलिंग की कार्रवाई की जायेगी. इसके लिए विशेष टीम का गठन कर लिया गया है. नोटिस देने के साथ-साथ कार्रवाई भी शुरू होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

