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शराब बिक्री के टेंडर में गड़बड़ी मामले में झारखंड हाईकोर्ट बोला- सब पता है क्या हो रहा, सरकार को दिया निर्देश

झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मौखिक रूप कहा कि उसे सब पता है कि क्या हो रहा है. कैसे प्रार्थी को केस वापस लेने के लिए धमकी दी जा रही है. जरूरत पड़ी, तो इस मामले में हम संज्ञान ले सकते हैं.

झारखंड हाइकोर्ट ने थोक व खुदरा शराब बिक्री के टेंडर में हुई गड़बड़ियों की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व प्रतिवादी राज्य सरकार का पक्ष सुना. राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा पक्ष रखे जाने के दौरान खंडपीठ ने नाराजगी व्यक्त की.

खंडपीठ ने मौखिक रूप कहा कि उसे सब पता है कि क्या हो रहा है. कैसे प्रार्थी को केस वापस लेने के लिए धमकी दी जा रही है. जरूरत पड़ी, तो इस मामले में हम स्वत: संज्ञान ले सकते हैं. खंडपीठ ने प्रार्थी को याचिका वापस लेने के लिए धमकाने व प्रार्थी के अधिवक्ता के भाई को उठाने के मामले मेंं राज्य सरकार को विस्तृत जवाब देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई दो मई को होगी.

इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ऑनलाइन सुनवाई में जुड़े तथा पक्ष रखा. उन्होंने प्रार्थी के क्रेडेंशियल पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसके खिलाफ तीन क्रिमिनल केस लंबित हैं. उसका क्रेडेंशियल ठीक नहीं है. याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

इस पर प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने श्री सिब्बल की दलील का विरोध करते हुए बताया कि याचिका वापस लेने के लिए प्रार्थी, उनके अधिवक्ता व परिजनों को धमकाया जा रहा है. जिस दिन पीआइएल दायर हुआ, उस दिन एक क्रिमिनल केस किया गया था. उसके बाद दो शिकायतवाद वर्ष 2023 में कोर्ट में दर्ज किये गये हैं. प्रार्थी के अधिवक्ता विकल्प गुप्ता, जो इस केस में सहयोग कर रहे हैं, उनके भाई को 43 घंटे तक हाजत में रखा गया था, जबकि उसके खिलाफ कोई केस नहीं था.

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी उमेश कुमार ने जनहित याचिका दायर की है. पिछली सुनवाई के दाैरान प्रार्थी के अधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने धनबाद एसएसपी से पूछा था कि प्रार्थी को क्यों धमकाया जा रहा है? प्रार्थी के अधिवक्ता के भाई को हिरासत में क्यों रखा है? उसके खिलाफ क्या कोई केस था? इस पर एसएसपी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि एक केस के संबंध में प्रार्थी के अधिवक्ता के भाई को उठाया गया था. हालांकि पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था.

क्या है मामला :

प्रार्थी धनबाद निवासी उमेश कुमार ने जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि शराब के होलसेल के टेंडर में शामिल होने के लिए 25 लाख रुपये नॉन रिफंडेबल राशि तय की गयी थी. टेंडर लेने के लिए कोलकाता से झारखंड के तीन जिलों में अलग-अलग खातों में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किये गये थे. यह उन कंपनियों के खाते में भेजा गया था, जिसमें काफी कम राशि हुआ करती थी. उन्हीं खातों से राज्य के अन्य जिलों में शराब के होलसेल के टेंडर के लिए 25-25 लाख रुपये जमा कराये गये थे. प्रार्थी ने पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है.

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