दीक्षांत मंडप में करम पूर्व संध्या पर नृत्य-गीत के साथ युवाओं ने सजायी सांस्कृतिक महफिल
एक के बाद एक विभिन्न समूहों ने सामूहिक नृत्य और एकल गीत प्रस्तुत किये
लाइफ रिपोर्टर @ रांचीसरना नवयुवक संघ की ओर से मंगलवार को करम पूर्व संध्या समारोह का आयोजन किया गया. मोरहाबादी स्थित दीक्षांत मंडप विभिन्न आदिवासी समुदायों के युवाओं से गुलजार था. लाल पाड़ की साड़ी में युवतियां और सफेद गंजी-धोती में युवा. किसी ने मोर का पंख लगाया था, किसी ने पीली पगड़ी पहन रखी थी. किसी ने हाथों में मांदर थाम रखा था, कोई नगाड़ा और कोई बांसुरी. एक के बाद एक विभिन्न समूह के युवाओं ने सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति दी. एकल गान भी हुआ. हवा में आदिम संगीत अपने नैसर्गिक रूप में गूंज रहा था. पहली प्रस्तुति मुंडारी नृत्य की हुई. करम चांडु मुलु लेना…, करम हो को बिदा कदा… इसका अर्थ है करम का चांद निकल आया है करम डाली भी गड़ा गया है, नहीं प्रिय मैं नहीं ठग रहा हूं. इस गीत में नेत्रहीन बांसुरीवादक लेखन प्रकाश मुंडा ने जब बांसुरी पर धुन छेड़ी तो लोग मंत्रमुग्ध से हो गये. इसके बाद बारी थी डोरंडा कॉलेज के कुड़ुख नृत्य की. इस समूह ने हो-हो रे राजी करम बरा लगी पेल्लों नी मूड़े टैगा खोसा गीत पर नृत्य किया. इसका अर्थ है देखो भाई-बहन हमलोगों के करम राजा आ रहे हैं. डॉ रामदयाल मुंडा के रूम्बुल से जुड़े समूह ने मुंडारी गीत पर नृत्य किया. हो और खड़िया भाषी समूहों ने भी अपनी प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में उपस्थित डॉ योगेश प्रजापति भी गुनगुना उठे-हायरे हायरे तब मोय तो सखी खेल जाबु, करम राजा आलंय सालक दिने…प्रकृति से जुड़कर हम बढ़ते रहेंगे
इससे पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने संबोधित किया. झारखंड स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत कुलपति डॉ त्रिवेणी नाथ साहू ने कहा कि करम हमारी परंपरा का जीता जागता उदाहरण है. यह सिर्फ महापर्व नहीं है बल्कि हमारी सांस्कृतिक विशेषताओं को भी उजागर करने का काम करते हैं. हम प्रकृति के नजदीक रहेंगे तो फलते-फूलते रहेंगे. सरना नवयुवक संघ के अध्यक्ष डॉ हरि उरांव ने कहा कि संघ प्रतिवर्ष सरहुल और करम के पूर्व संध्या समारोह का आयोजन करता आ रहा है. उन्होंने कहा कि संघ का गठन 1987 में हुआ था और पहली बार स्वर्णरेखा आदिवासी छात्रावास में इसका आयोजन हुआ. अब रांची में और देश में कई स्थानों पर करम के अवसर पर समारोह हो रहे हैं. संघ के कोषाध्यक्ष डॉ बंदे खलखो ने कहा कि संघ अब अपने कार्यक्रमों को यूट्यूब पर भी उपलब्ध करा रहा है. हम साहित्य के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं. आदिवासी छात्र संघ के मनोज उरांव ने कहा कि करम और सरहुल हमारा मुख्य त्योहार है. सरना नवयुवक संघ से हमलोगों ने काफी सीखा है. एयर हॉस्टेस कांति गाड़ी, डॉ प्रकाश उरांव, बिरेंद्र उरांव सहित अन्य लोगों ने भी संबोधित किया.पत्रिका का लोकार्पण
इस अवसर पर सरना नवयुवक संघ द्वारा प्रकाशित पत्रिका सरना फूल पत्रिका के 46वें अंक का लोकार्पण हुआ. इस पत्रिका में आदिवासी समुदायों के पर्व त्योहारों, सामाजिक मुद्दों आदि पर सामग्रियां रहती है.
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