रांची : झारखंड में बीते कई वर्षों से संवैधानिक व महत्वपूर्ण आयोगों के गठन के मामले लंबित हैं. आयोगों का गठन नहीं होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है. शिकायतों के समाधान के साथ न्याय पाने के लिए लोग भटक रहे हैं. संवैधानिक संस्थाओं का गठन नहीं होने का असर राज्य की प्रशासनिक मशीनरी की सक्रियता पर भी पड़ रहा है. जेपीएससी का अध्यक्ष नहीं होने से रिक्तियां फंस गयी हैं. राज्य सूचना आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त और राज्य महिला आयोग जैसे आयोगों में आनेवाली शिकायतों की सुनवाई नहीं हो रही है. पहले से दर्ज मामले वैसे ही लंबित हैं. कहीं अध्यक्ष नहीं हैं, तो कहीं सदस्यों के पद खाली हैं.
हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में चल रही सुनवाई
आयोगों के गठन को लेकर झारखंड हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में सुनवाई चल रही है. हाइकोर्ट में सूचना आयुक्त, लोकायुक्त और मानवाधिकार आयोग सहित 12 संवैधानिक संस्थाओं में खाली पदों पर नियुक्ति के लिए सुनवाई चल रही है. हाइकोर्ट अवमानना याचिका व जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन मामलों की 34 बार सुनवाई हो चुकी है. इस दौरान राज्य सरकार ने 18 बार समय लिया है. हाइकोर्ट में सुनवाई 24 फरवरी और सुप्रीम कोर्ट में चार मार्च को है.
भ्रष्टाचार के 3000 मामलों की सुनवाई लंबित
झारखंड लोकायुक्त का पद 29 जून 2021 से रिक्त पड़ा हुआ है. तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय के निधन के बाद से ही यह खाली है. जिससे भ्रष्टाचार से संबंधित दर्ज मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. लोकायुक्त के पास भ्रष्ट आचरण, भ्रष्टाचार व लोक शिकायत से संबंधित लगभग 3000 से अधिक पुराने और नये दर्ज मामले लंबित हो गये हैं. लोकायुक्त कार्यालय में दर्ज किसी परिवाद पर रिपोर्ट मंगाना या समन की कार्रवाई करना जैसे कार्य भी फरवरी 2022 से ठप हैं.
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2023 से मानवाधिकार आयोग है ठप, 1114 मामले लंबित
झारखंड मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों के पद पांच मार्च 2023 से ही खाली हैं. जिससे मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है. इससे शिकायतकर्ताओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है. लंबित मामलों की संख्या 1114 है. आयोग में औसतन 30-35 मामले प्रतिदिन आ रहे हैं. पर उसको सिर्फ नोट किया जा रहा है. लोगों को केस नंबर नहीं मिल रहा है. दर्ज मामलों में वर्ष 2018 में 91, 2019 में 20, 2020 में 78, 2021 में 252, 2022 में 112 और 2023 में 561 सहित मानवाधिकार उल्लंघन के 1114 मामले लंबित हैं.
पांच सालों से महिला आयोग ठप, 5,000 मामले लंबित
झारखंड राज्य महिला आयोग में पिछले पांच साल से न तो अध्यक्ष है और न ही सदस्य. उनके नहीं होने से लंबित मामलों की संख्या बढ़ कर 5,000 हो गयी है. मामलों की सुनवाई नहीं होने से शिकायतकर्ता निराश हो गये हैं. आयोग में आनेवाली शिकायतों की संख्या तेजी से कम हुई है. रोज 20 से 25 शिकायतें दर्ज करने वाले महिला आयोग में अब महीने में एक-दो शिकायतें ही पहुंच रही हैं. आयोग में कार्यरत कर्मियों के बकाये मानदेय का भुगतान नहीं हो रहा है.
जून 2024 से नहीं हैं विद्युत आयोग के अध्यक्ष
झारखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष का पद जून 2024 से खाली है. अभी केवल दो सदस्य अतुल कुमार और महेंद्र प्रसाद हैं. अध्यक्ष के नहीं रहने पर दो सदस्य ही जेबीवीएनएल के टैरिफ पर फैसला लेंगे. आयोग राज्य में बिजली आपूर्ति, उत्पादन या संचरण में लगी बिजली कंपनियों को नियंत्रित करता है. बिजली कंपनियों के टैरिफ के निर्धारण से लेकर जन शिकायत पर कार्रवाई भी आयोग के ही जिम्मे है.
झारखंड लोक सेवा आयोग में सात माह से अध्यक्ष नहीं, 1700 नियुक्तियां फंसी
जेपीएससी में अध्यक्ष की कुर्सी सात माह से खाली है. अध्यक्ष के नहीं रहने से नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा रहा है. जिससे 1700 नियुक्ति के लिए रिजल्ट या फिर परीक्षा आयोजित करना है या फिर इंटरव्यू लेना बाकी है. वहीं, विवि व कॉलेजों में शिक्षकों, अधिकारियों और प्राचार्यों की नियुक्ति/ प्रोन्नति भी फंस गयी है. इनमें 11वीं, 12वीं और 13वीं सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का रिजल्ट व इंटरव्यू, सीडीपीओ, फूड सेफ्टी अफसर, सिविल जज जूनियर, विवि अधिकारी, मेडिकल अफसर, होम्योपैथिक डॉक्टर, आयुर्वेदिक डॉक्टर, यूनानी डॉक्टर, असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्तियों के मामले शामिल हैं
राज्य सूचना आयोग पांच वर्ष से खाली, 20,038 मामलों की सुनवाई ठप
झारखंड राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य राज्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के सभी छह पद खाली हैं. आठ मई 2020 से आयोग में अपील व शिकायतों पर सुनवाई ठप है. उस समय तक आयोग में लगभग 7669 अपील मामले और 71 शिकायतें लंबित थीं. आयुक्तों के पद खाली होने के बाद से आयोग में 12000 नयी अपील और 298 शिकायतें दर्ज की गयी हैं. किसी भी मामले की सुनवाई नहीं हुई है. कुल 20,038 मामलों की सुनवाई बंद है. आयुक्तों के अलावा आयोग में सचिवालय सेवा के छह में से पांच, सेक्शन ऑफिसर के एक पद, कनीय सचिवालय सहायक के दो, तीन आप्त सचिव, तीन निजी सहायक व आशुलिपिक के 10 पद भी खाली पड़े हैं.
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