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झारखंड हाईकोर्ट ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव समेत 4 अफसरों पर लगाया 25-25 हजार का जुर्माना, दिया ये आदेश

Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट ने अवमानना मामले में जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव समेत चार अधिकारियों पर 25-25 हजार का जुर्माना लगाया. जुर्माने की राशि भुगतान नहीं करने पर अगली सुनवाई में ड्रेस कोड में सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है. झारखंड हाईकोर्ट ने आदेशपाल से तृतीय वर्ग के पद पर कराये गये कार्य से संबंधित वेतन भुगतान को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

Jharkhand High Court: रांची, राणा प्रताप-झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने आदेशपाल से तृतीय वर्ग के पद पर कराये गये कार्य से संबंधित वेतन भुगतान को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी नाराजगी जतायी. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने आदेश की जानबूझ कर अवमानना की है. नाराज अदालत ने जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव प्रशांत कुमार, मुख्य अभियंता जमील अख्तर, अधीक्षण अभियंता संजीव कुमार और कार्यपालक अभियंता रंजीत कुजूर को 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माने की राशि एक सप्ताह में भुगतान करेंगे, तो अगली सुनवाई में सशरीर उपस्थित रहने से छूट रहेगी. यदि भुगतान नहीं किया जाता है, तो सभी अधिकारी 12 सितंबर को सुबह 10:30 बजे सशरीर उपस्थित रहेंगे.

कैजुअल ड्रेस पर झारखंड हाईकोर्ट नाराज


सुप्रीम कोर्ट के 19 मार्च 2025 के आदेश का चार सप्ताह के अंदर पालन नहीं किया गया और मामले में टालमटोल किया जाता रहा है. अदालत में प्रधान सचिव द्वारा अंडरटेकिंग देने के बाद भी प्रार्थी लखन प्रसाद यादव को तृतीय वर्ग में किये गये काम का वेतन भुगतान नहीं किया गया है. यह काफी गंभीर मामला है. अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते यह भी कहा कि अधिकारी कैजुअल ड्रेस में अदालत में उपस्थित हुए थे, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगले दिन अधिकारी कैजुअल ड्रेस में नहीं, बल्कि उचित ड्रेस कोड का पालन करते हुए कोर्ट में उपस्थित होंगे. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी की.

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क्या है मामला?


लखन प्रसाद यादव जल संसाधन विभाग में आदेशपाल के पद पर थे. विभाग ने उनसे तृतीय वर्ग का कार्य लिया, लेकिन वेतन भुगतान नहीं किया. उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. एकल पीठ ने तृतीय वर्ग के पद का वेतन देने का आदेश दिया था. इसको राज्य सरकार ने अपील दायर कर चुनौती दी, जो खारिज हो गयी. उसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी, वह भी खारिज हो गयी. चार सप्ताह में भुगतान का आदेश दिया था. भुगतान नहीं होने पर प्रार्थी ने अवमानना याचिका दायर की थी. बार-बार भुगतान करने की बात करने के बाद भी विभाग ने भुगतान नहीं किया. बाद में 11,87,230 रुपये भुगतान किया गया.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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