रांची. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि आने वाले समय में मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर मुद्दा होगा. जैसे-जैसे देश और समाज विकसित होता है, मानसिक समस्याएं बढ़ती हैं. विकास के साथ विस्थापन, एकाकीपन, नशे की समस्या और प्रतियोगिता बढ़ती है, जिसका असर समाज पर पड़ता है. ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने और इसमें निवेश करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 2023-24 के इकोनॉमिक सर्वे में भी यह बताया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य पर एक फीसदी निवेश करने से चार फीसदी की दर से फायदा होता है. श्री सिंह शुक्रवार को रिनपास परिसर में एसोसिएशन ऑफ साइकेट्रिक सोशल वर्कर्स प्रोफेशनल्स (एपीएसडब्ल्यूपी) के दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे.श्री सिंह ने कहा कि विभाग में मनोरोग का एक विशेष सेल बनाने का प्रयास होगा. इसके लिए आवश्यक मैनपावर की पूर्ति की जायेगी. जरूरत पड़ने पर शॉर्टटर्म कोर्स भी कराये जायेंगे. स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है. जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए. द छोटानागपुर के आयुक्त अंजनी कुमार मिश्र ने कहा कि मनोरोगियों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधा कोई चैरिटी नहीं, बल्कि उनका अधिकार है. यह सुविधा उन्हें अच्छी तरह से मिलनी ही चाहिए. इसके लिए साझा प्रयास जरूरी है. निमहांस, बेंगलुरु की निदेशक डॉ प्रतिमा मूर्ति ने कहा कि मनोचिकित्सा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी साइकेट्रिक सोशल वर्कर्स की भूमिका महत्वपूर्ण है. इनके योगदान को कम नहीं आंका जा सकता. सरकार आज इन्हें विभिन्न कार्यों में शामिल कर रही है. यह समाज की जरूरत है. केवल मनोचिकित्सा ही नहीं, अन्य इलाज में भी इनकी आवश्यकता है. ये समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करते हैं. इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की कमी है. एपीएसडब्ल्यूपी के अध्यक्ष अरविंद इ रॉय ने बताया कि संस्था का गठन 2019 में हुआ था और छोटी अवधि में इसने अच्छा कार्य किया है. इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत रिनपास के निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह ने किया. धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ मनीषा किरण ने किया. मंच पर एपीएसडब्ल्यूपी के सचिव दीपांजन भट्टाचार्या भी उपस्थित थे.
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