रांची : अंतर्राष्ट्रीय शोध सम्मेलन और अवॉर्ड्स, 2025 का आयोजन 28 मार्च को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची और ग्लोबल लीडर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया. ये कार्यक्रम डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में हुआ. सम्मेलन के मुख्य एचईसी के अतिथि पूर्व सीएमओ, डॉ आरके रॉय थे. जबकि विशिष्ट अतिथि इक्फाई विश्वविद्यालय मिजोरम के कुलपति डॉ विजय सिंह थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि भारत अतीत से ज्ञान की भूमि होने के साथ साथ प्राचीन सभ्यताओं का भी उद्गम स्थल रहा है.
1500 ईसा पूर्व के आसपास वेदों की रचना की गई : डॉ तपन कुमार शांडिल्य
डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि भारत जैसे महान देश की एक विशिष्ट उपलब्धि यह रही कि प्राचीन सभ्यताओं और दार्शनिक प्रणाली से लेकर आधुनिक काल तक अग्रणी वैज्ञानिक खोजों की यह एक जीवंत परंपरा का पोषक रही है. उन्होंने अपने आगे के संबोधन में भारतीय ज्ञान प्रणाली का विस्तार से उल्लेख करते हुए बताया वैदिक काल में लगभग 1500 ईसा पूर्व के आसपास वेदों की रचना की गई. इन वेदों में ऋग्वेद, अथर्व वेद, यजुर्वेद और सामवेद आज भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति में देवों की स्तुति, चिकित्सा, जादू और संगीत की विरासत से हमें परिचित और ज्ञान प्रणाली को समझने का सशक्त माध्यम बनी हुई है.
डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने नालंदा और तक्षशिला विवि की भी चर्चा की
डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने इस संदर्भ में बिहार के नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय की भी चर्चा की. उन्होंने इस सम्मेलन को अत्यंत सफल बताया. इस दौरान लगभग 100 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए और छह प्रतिभागियों को उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किया गया. इस सम्मेलन में विभिन्न प्रतिभागियों के अतिरिक्त डॉ आईं एन साहू, राहुल देव आदि मौजूद रहे. यह जानकारी पीआरओ डॉ राजेश कुमार सिंह ने दी. इससे पहले कार्यक्रम का स्वागत भाषण ग्लोबल लीडर्स फाउंडेशन के रमेश त्रिपाठी ने दिया. जबकि डॉ विजय सिंह ने इस सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला.

