रांची. नाम है सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (जिला स्कूल), लेकिन हकीकत कुछ और ही है. यहां के छात्रावास की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है. जिन बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण माहौल मिलना चाहिए, वे खस्ताहाल इमारत में रहकर रोज खतरे का सामना कर रहे हैं. दीवारों से लगातार पानी रिसता है. नमी और गंदगी के कारण दीवारें बदरंग हो चुकी हैं. कई कमरों की छत क्षतिग्रस्त है. जगह-जगह से प्लास्टर झड़ रहा है. बच्चों को छत गिरने का डर सताता रहता है.
छात्रावास में सौ बच्चे रहते हैं
यहां करीब सौ छात्र रहते हैं. 10 कमरों में हर कमरे में 10 बच्चे ठहरे हुए हैं. इतनी भीड़ में न तो सही वातावरण मिल पाता है, न ही सुरक्षा. बिजली व्यवस्था सबसे बड़ी समस्या है. तार बेतरतीब ढंग से खुले पड़े हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. बारिश में यह खतरा और बढ़ जाता है. कई वर्षों से स्थिति जस की तस है. अधिकारियों को कई बार कहा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. खिड़कियां, दरवाजे और वेंटिलेटर क्षतिग्रस्त हैं. बिजली की हालत भी बेहद खराब है, जिससे छात्र-छात्राओं को परेशानी होती है.
बाथरूम की हालत दयनीय
बाथरूम का फर्श पूरी तरह खराब हो चुका है. बारिश में फिसलन हो जाती है. कई जगह फर्श टूट गया है. छत नहीं होने से विद्यार्थियों को बारिश में भीगते हुए बाथरूम जाना पड़ता है.
राशि आवंटित होने के बावजूद नहीं बना कुआं
छात्रावास परिसर में स्थित कुआं कई महीनों से धंसा हुआ है. जिला प्रशासन ने इसकी मरम्मत के लिए 1.60 लाख रुपये की राशि 28 जून 2025 को स्वीकृत की थी. लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ. हाल की बारिश में बची-खुची दीवार भी गिर चुकी है, जिससे कुआं के धंसने का खतरा बढ़ गया है. फिर भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
प्राचार्या ने उठायी मरम्मत की मांग
स्कूल की प्राचार्या यास्मीन गलेरिया ने जून में जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) को पत्र लिखकर छात्रावास की मरम्मत की मांग की थी. पत्र में बिंदुवार सुविधाओं की सूची भेजी गयी थी, लेकिन पांच माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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