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Holi 2022: कब मनायी जाएगी होली, जानिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार क्या है नियम

इस साल 17 मार्च को होलिका दहन और 19 मार्च को होली की तिथि है. हालांकि कई लोगों को इस बात का संशय है शास्त्र के अनुसार कब मुहूर्त बन रहा है. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि कब होली मनाया जाता है

रांची : होलिका दहन के अगले दिन ही होली मनाने की परंपरा रही है. जबकि मिथिला पंचांग व ऋषिकेश पंचांग में ज्योतिष गणना के अनुसार, इस वर्ष 17 मार्च को होलिका दहन और 19 मार्च को होली की तिथि बतायी जा रही है. इस वजह से लोग होली की तिथि को लेकर संशय में हैं.

खैर! दो साल तक कोरोना का दंश झेल कर बाहर निकले लोग बेसब्री से इस त्योहार का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में होलिका दहन के बाद उन्हें होली मनाने के लिए दो दिन (18 और 19 मार्च) मिल रहे हैं. यानी लोग परंपरा का निर्वहन करने के साथ शास्त्र सम्मत तिथि का भी अनुसरण कर सकते हैं. प्रस्तुत है रिपोर्ट…

भद्रा के बाद पूर्णिमा में होता है होलिका दहन

होलिका दहन को लेकर शास्त्रों में विस्तार से विचार किया गया है. इस वर्ष होलिका दहन 17 मार्च की रात भद्रा के बाद पूर्णिमा में होगा. होलिका दहन की विधि और प्रक्रिया शास्त्रों में वर्णित है.

इसके अंतर्गत होलिका का पूजन महत्वपूर्ण है. कई लोग अनभिज्ञता के कारण हास-परिहास में ही आग लगा देते हैं, जो उचित नहीं है. शास्त्रीय नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए. होलिकापूजन, प्रार्थना, वायुपरीक्षण, भस्मधारण आवश्यक है. भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है.

होलिका दहन 17 को और होली 19 को

17 मार्च गुरुवार को होलिका दहन है. इस दिन दोपहर 1:01 बजे के बाद से पूर्णिमा लग जायेगा, जो शुक्रवार दोपहर 12.51 बजे तक रहेगा. पंडित कौशल कुमार मिश्र ने कहा कि शुक्रवार को उदया तिथि में पूर्णिमा मिलने के कारण यह पूरे दिन मान्य होगा. इस दिन स्नान दान की पूर्णिमा मनायी जायेगी. शनिवार को चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को होली मनायी जायेगी. इस दिन दोपहर 12.12 बजे तक प्रतिपदा है.

होली का जुड़ाव शास्त्रों से, नियम मानना उचित

पंडित राकेश कुमार त्रिवेदी ने बताया कि होली के दिन पूजा चढ़ती है. विशेष पकवान बनाये जाते हैं, जिसे कुल देवता को भी विशेष रूप से अर्पित किया जाता है. इसके लिए होली मनाने के लिए शास्त्रों के नियमों को मनाना जरूरी होता है. कई लोग 18 को भी मना रहे हैं. लेकिन 19 को ही होली मनाना उचित है. होली का त्योहार शास्त्रों से जुड़ा है, इसलिए नियमों का पालन करना चाहिए.

पंडित अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि पहले भी होलिका और होली के त्योहार में एक दिन रुकना पड़ा है. फाल्गुन पूर्णिमा 17 मार्च दोपहर 1:01 बजे प्रवेश कर रही है, जो 18 मार्च दोपहर 12:51 बजे तक रहेगी. भद्रा 17 मार्च को रात्रि 12:51 बजे समाप्त हो रहा है. इसलिए 17 मार्च को रात एक बजे के बाद होलिका दहन किया जायेगा. पूर्णिमा के अगले दिन 19 मार्च को होली मनायी जायेगी.

तीन, 12 व 27 साल में ऐसा संयोग

आचार्य अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि तिथि क्षय के कारण तीन, 12 व 27 साल बाद ऐसा संयोग बनता है. होली हमेशा चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को मनायी जाती है. 18 मार्च को पूर्णिमा होने के कारण पूरे दिन व पूरी रात पूर्णिमा ही मान्य होगा. प्रतिपदा 19 मार्च को है. इसलिए होली उसी दिन मनेगी. हालांकि, बनारस में एक दिन पूर्व पूर्णिमा को ही होली मनायी जाती है. वहां 18 मार्च को होली मनायी जायेगी.

Posted By: Sameer Oraon

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