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Ranchi news : आदेश का अनुपालन नहीं होने पर हाइकोर्ट नाराज

पथ निर्माण सचिव को हाजिर होने का निर्देश

पथ निर्माण सचिव को हाजिर होने का निर्देश

मामले की अगली सुनवाई 31 अक्तूबर को होगी

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने अवमानना से जुड़े एक मामले में आदेश का अनुपालन नहीं होने पर नाराजगी जतायी है. अदालत ने मामले में पथ निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार को अगली सुनवाई के दाैरान हाजिर होने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 31 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की है. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमरेंद्र प्रधान ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि सरकार ने आदेश का अनुपालन नहीं किया है.

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विक्रम मंडल एवं अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी है. यह मामला जूनियर इंजीनियर (जेइ) पद से असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर प्रोन्नति से जुड़ा है. एकल पीठ ने प्रार्थियों के पक्ष में फैसला दिया था. पीठ ने प्रार्थियों को उस तिथि से प्रोन्नति देने का आदेश पथ निर्माण विभाग को दिया था, जिस तिथि से वरीयता सूची में उनसे कनीय अधिकारियों को प्रोन्नति दी गयी थी. पीठ ने प्रार्थियों को अन्य सारे वित्तीय लाभ भी देने का निर्देश दिया था. इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने अपील याचिका दाखिल की है. अपील में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने सुनवाई की तिथि जनवरी 2026 निर्धारित की है. वहीं जस्टिस दीपक रोशन के कोर्ट ने अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि या तो सरकार एकल पीठ के आदेश के खिलाफ स्टे आर्डर लाये या आदेश का अनुपालन करे.

क्या है मामला

प्रार्थियों की नियुक्ति वर्ष 2012 में पथ निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर हुई थी. उनका कहना था कि पथ निर्माण विभाग ने 13 नवंबर 2019 को वरीयता सूची जारी की थी. वह वरीयता में ऊपर थे, लेकिन उनसे कनीय जूनियर इंजीनियरों को प्रोन्नति दे दी गयी और उन्हें नहीं दिया गया. यहां यह भी बता दें कि जेपीएससी ने प्रार्थियों से कनीय को प्रोन्नति देने की अनुशंसा की थी. वरीयता सूची में कनीय रहनेवालों कई जूनियर इंजीनियर को असिस्टेंट इंजीनियर में प्रोन्नति दी गयी. वहीं विभाग द्वारा प्रार्थियों के मामले में संपत्ति विवरणी नहीं देने, सर्विस बुक नहीं मिलने, सीआर अपडेट नहीं होने आदि का हवाला देते हुए पांच अप्रैल 2023 को सकारण आदेश पारित करते हुए उनकी प्रोन्नति संबंधी आवेदन को खारिज कर दिया था. प्रार्थियों ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर कर चुनाैती दी थी.

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