रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने विगत 10 वर्षों से अधिक समय से कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान प्रार्थी और राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद याचिका को स्वीकार कर लिया गया. इस मौके पर अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि प्रार्थी 10 वर्षों से अधिक समय से कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर अपनी सेवा दे रहा है, इसे देखते हुए उसे नियमित किया जाये.
किसी संस्था के लिए कंप्यूटर लग्जरी नहीं
अदालत ने कहा कि 10 वर्षों से अधिक समय से काम ले रहे हैं और इससे पता चलता है कि यह काम अस्थायी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि आज के समय में किसी संस्था के लिए कंप्यूटर लग्जरी नहीं है. इसके बिना किसी ऑफिस स्थापना का संचालन करना नामुमकिन है. इससे पहले जगो तथा उमा देवी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि प्रार्थी कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर दो मार्च 2007 से दैनिक कर्मी के रूप में कार्य कर रहा है. वह इंटरमीडिएट है तथा कंप्यूटर संचालन में ट्रेंड है. ज्ञात हो कि प्रार्थी राधेश्याम मंडल पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत है. उसने याचिका दायर कर अपनी सेवा के नियमितीकरण की मांग की थी.
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