रांची.
गोस्सनर इवेंजिलक लूथरन चर्च छोटानागपुर एंड असम (जीइएल चर्च) झारखंड का सबसे पुराना चर्च समुदाय है. स्थापना 1845 में चार जर्मन मिशनरियों के रांची आगमन के साथ मानी जाती है. जीइएल चर्च की स्थापना के डेढ़ सौ साल तक कोई भी महिला पादरी नहीं थी. साल 2000 में पहली बार जीइएल चर्च में तीन महिला पादरी बनी. यह एक ऐतिहासिक शुरुआत थी. पहली तीन महिला पादरियों में रेव्ह मेरियन मिंज (अब स्वर्गीय), रेव्ह इजाबेला बारला और रेव्ह आशीषन कंडुलना शामिल हैं. फिलहाल जीइएल चर्च में अभिषिक्त महिला पादरियों की संख्या 49 है. ये महिला पादरी चर्च से जुड़े विभिन्न संस्थाओं में अपनी सेवकाई दे रही हैं. इस साल अक्तूबर में जीइएल चर्च महिला पादरियों के अभिषेक की 25 वर्षीय जुबली मनायेगा. मॉडरेटर बिशप मार्शल केरकेट्टा ने बताया कि 22 से 24 अक्तूबर तक होनेवाला इस आयोजन को भव्य रूप में मनाने की कोशिश है. इसमें चर्च के देशभर में फैले डायसिसों से प्रतिनिधियों शामिल होंगे. जीइएल चर्च महिला संघ की शशि रीता कंडुलना ने बताया कि जर्मनी से भी महिला पादरी इस समारोह में शामिल होने रांची आयेंगी. इसके अलावा भविष्य की दीर्घकालिक योजनाओं में जीइएलसी के इतिहास, लूथरन दृष्टिकोण, गोस्सनर के विचारों, आदिवासी सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक राजनीतिक संदर्भ में कलीसिया की सेवा के बारे में जानकारी देना है.
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