मनोज सिंह, रांची. झारखंड के किसानों को लगातार दूसरे साल मुख्यमंत्री कृषि उपकरण योजना का लाभ नहीं मिला. इस योजना का संचालन कृषि विभाग का भूमि संरक्षण निदेशालय करता है. वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में किसानों को इस योजना के तहत कृषि यंत्र नहीं मिल पाया. इस योजना का लाभ देने के लिए जो प्रक्रिया शुरू की गयी थी, वह वित्तीय वर्ष में पूरी नहीं हो पायी है. अब विभाग किसानों को इसका लाभ अगले साल देने की कोशिश कर रहा है. वर्ष 2024-25 में यह योजना राज्य की नयी प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के कारण फंस गयी. नयी प्रोक्योरमेंट पॉलिसी में लाभुक को लाभ दिये जाने के लिए कई एजेंसियों को सूचीबद्ध करने का जिक्र नहीं है. इस कारण आपूर्तिकर्ता को सूचीबद्ध कर लेने के बाद भी योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. इस कारण किसान लगातार दूसरे साल इस लाभ से वंचित रह गये.
दो वर्षों में 340 करोड़ का मामला फंसा
पिछले दो साल में किसानों के बीच 340 करोड़ रुपये के उपकरण बांटे जाने थे, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिला. यह पैसा राज्यादेश के अनुसार झारखंड मशीनरी एंड टूल्स टेस्टिंग सेंटर (जेएमटीटीसी) के पीएल खाते में रखा हुआ है. राशि के डीडीओ भूमि संरक्षण विभाग के निदेशक हैं. उनको पैसा निकालकर जेएमटीटीसी के पीएल खाते में जमा करने का निर्देश दिया गया था. जेएमटीटीसी के सीइओ कृषि विभाग से रिटायर आरपी सिंह हैं. इसी संस्था की देखरेख में कृषि मशीनरी का वितरण होना है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना के लिए 140 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. लेकिन, कृषि यंत्र का वितरण नहीं हो सका. पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) में इसके लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. कंपनियों को सूचीबद्ध करने के लिए इस वर्ष टेंडर भी हो गया. करीब एक दर्जन कंपनियों को कृषि उपकरण आपूर्ति के लिए सूचीबद्ध भी कर लिया गया, लेकिन उपकरणों का वितरण नहीं हो सका.
2024-25 में 500 कृषक समूह को मिलना था लाभ
वित्तीय वर्ष 2024-25 में मुख्यमंत्री कृषि उपकरण वितरण स्कीम से 500 कृषक समूहों को लाभ मिलना था. वहीं, वित्तीय वर्ष 2023-24 में करीब 150 कृषक समूहों के बीच इसका वितरण होना था. कृषि उपकरण का पैकेज तैयार किया गया है. यह 6.25 लाख रुपये का है. इसमें किसानों को 80 फीसदी की सब्सिडी मिलनी है. किसानों को इस स्कीम से मिनी ट्रैक्टर, पावर टिलर, पावर विडर, रोटरी टिलर, राइस ट्रांसप्लांटर, रिपर, राइस हॉलर सह पॉलिशर, राइस मिल, पैडी थ्रेसर, गेहूं थ्रेसर, पैडी हार्वेस्टर, फ्लोर मिल, दाल मिल, तेल मिल, अल्टरनेटर आदि मिलना है.
चालू वित्तीय वर्ष में 140 करोड़ का प्रावधान
चालू वित्तीय वर्ष (2025-26) में राज्य सरकार ने इस योजना पर 140 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है. इससे महिला स्वयं सहायता समूहों, महिला सखी मंडल, कृषक समूह, लैम्प्स, पैक्स, प्रगतिशील कृषकों को बड़ा ट्रैक्टर, रिपर आदि अनुदान पर दिया जायेगा.
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