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सुखाड़ का असर: झारखंड में इन 3 गांव के किसानों ने नहीं बेचा धान, पूरे राज्य की ये है स्थिति

झारखंड सरकार ने धान क्रय को लेकर तीनों जिलों के किसानों को एसएमएस भेजा है, फिर भी किसान धान बेचने नहीं आये हैं. सरकार ने दुमका में 152 किसानों, गढ़वा में 47 और साहिबगंज में आठ किसानों को धान बेचने के लिए एसएमएस भेजा है.

झारखंड में पिछले मॉनसून में कम बारिश के कारण राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंड सुखाड़ की चपेट में आ गये. राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र भेजकर इन प्रखंडों को सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर किसानों को राहत देने का आग्रह किया है. सुखाड़ का असर वित्तीय वर्ष 2022-23 में सरकार की ओर से की जा रही धान की खरीदारी पर भी पड़ा है. राज्य में सरकार ने धान क्रय की शुरुआत 15 दिसंबर से की है, लेकिन एक माह के बाद भी तीन जिलों के एक भी किसान ने धान नहीं बेचा है. तीन जिलों में दुमका, गढ़वा और साहिबगंज शामिल हैं.

एसएमएस भेजा, पर नहीं आये किसान :

इधर, सरकार ने धान क्रय को लेकर तीनों जिलों के किसानों को एसएमएस भेजा है, फिर भी किसान धान बेचने नहीं आये हैं. सरकार ने दुमका में 152 किसानों, गढ़वा में 47 और साहिबगंज में आठ किसानों को धान बेचने के लिए एसएमएस भेजा है. वहीं पश्चिमी सिंहभूम और पलामू में सिर्फ एक-एक किसान ने धान बेचा है. धनबाद में अब तक धान बेचनेवाले किसानों की संख्या मात्र तीन है.

12944 किसानों ने 6.40 लाख क्विंटल धान बेचा :

राज्य में अब तक 12944 किसानों ने 6.40 लाख क्विंटल धान बेचा है. इसमें से 6,643 किसानों को प्रथम किस्त की राशि का भुगतान हो चुका है. सरकार इस वर्ष किसानों को प्रति क्विंटल 2050 रुपये का भुगतान कर रही है. इसमें 10 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की राशि शामिल है. धान क्रय को लेकर राज्य में 652 केंद्र बनाये गये हैं. वहीं 2.77 लाख किसानों का निबंधन किया गया है.

धान क्रय का लक्ष्य आधे से भी किया कम

सुखाड़ को देखते हुए सरकार ने 2022-23 में निर्धारित धान क्रय के लक्ष्य को आधे से भी कम कर दिया है. पहले राज्य में किसानों से 80 लाख क्विंटल धान क्रय का लक्ष्य निर्धारित था, जिसे घटा कर अब 36.30 लाख क्विंटल कर दिया गया है. जेएसएफसी के एमडी यतींद्र प्रसाद ने बताया कि कई जिलों के डीसी ने पत्र भेजकर धान क्रय के लक्ष्य को कम करने का आग्रह किया था. उनका कहना था कि सुखाड़ के कारण धान की उपज कम हुई है. इसलिए लक्ष्य को घटाया जाये. काफी कम किसान धान बेचने के लिए आ रहे हैं.

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