Babulal Marandi on Drinking Water and Sanitation Scam| भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पेयजल स्वच्छता घोटाला को संयुक्त बिहार के चारा घोटाला जैसा करार दिया है. कहा है कि चारा घोटाला की तरह ही अलग-अलग जिला कोषागारों से अवैध कागजात के आधार पर निकासी की गयी है. सरकार पर निशाना साधते हुए नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन के पहले कार्यकाल के दौरान पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में वर्ष 2019 से 2024 के बीच 160 करोड़ रुपए के काम में भारी वित्तीय अनियमितता हुई.
बाबूलाल मरांडी ने की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में भी चारा घोटाले की तरह विभिन्न कोषागारों से अवैध रूप से निकासी की गयी. भाजपा नेता ने कहा कि झारखंड सरकार इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराये, ताकि दोषियों को सजा मिल सके. साथ ही जनता के पैसों की लूट को रोका जा सके.
वित्त विभाग की अंतर विभागीय जांच कमेटी ने जतायी गबन की आशंका
वित्त विभाग की ओर से बनी अंतर विभागीय जांच कमेटी ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में पिछले 5 साल में बड़े पैमाने पर अनियमितता की बात कही है. कमेटी ने इसमें गबन की आशंका जतायी है. 7 सदस्यीय कमेटी ने कहा है कि जांच के दौरान घोटाले में इंजीनियर से लेकर कोषागार के अधिकारियों तक की मिलीभगत की बात सामने आयी है. कमेटी ने कहा है कि कार्यपालक अभियंता स्वर्णरेखा शीर्ष प्रमंडल, रांची कार्यालय के जरिये वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 के दौरान करीब 160 करोड़ रुपए का काम हुआ. इसमें गबन की आशंका है.
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कोषागारों की भी विशेष ऑडिट कराने की सिफारिश
कमेटी ने पेयजल विभाग के कई कार्यालयों और कोषागारों की भी विशेष ऑडिट कराने की सिफारिश की है. कमेटी ने कहा है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल गोंदा, कार्यपालक अभियंता पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल रांची पूर्व, कार्यपालक अभियंता पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल नागरिक अंचल रांची और अधीक्षण अभियंता पेयजल व स्वच्छता अंचल रांची के कार्यों की भी ऑडिट करायी जानी चाहिए.
कोषागार के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ गबन
अंतर विभागीय जांच कमेटी ने कहा है कि जांच के दौरान उसने बताया कि कोषागार के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी गबन में मिलीभगत थी. राज्य के 5 बड़े कोषागारों (रांची, धनबाद, जमशेदपुर, हजारीबाग और पलामू) यानी जिला कोषागार को जांच के दायरे में शामिल करते हुए विशेष ऑडिट कराने की अनुशंसा की है. यह भी कहा है कि कोषागार संहिता में कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की कोई भूमिका नहीं है, इसलिए उन्हें वित्तीय कार्य (कुबेर ट्रेजरी ऐप्लिकेशन सिस्टम में लॉग-इन) से दूर रखा जाये.
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