7.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

झारखंड में डिप्लोमा इन फार्मेसी की परीक्षा में 80 फीसदी से ज्यादा छात्र फेल, स्वास्थ्य विभाग उलझन में

झारखंड के विभिन्न फार्मेसी कॉलेज से इस साल करीब 5,000 विद्यार्थियों ने डिप्लोमा इन फार्मेसी की परीक्षा दी थी. इनमें से 4,000 से ज्यादा विद्यार्थी फेल हो गये. जानकार इसे स्वास्थ्य विभाग की सख्ती का नतीजा बता रहे हैं.

इस साल बरती गयी सख्ती की वजह से डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी-फार्मेसी) की परीक्षा में 80 फीसदी से ज्यादा विद्यार्थी फेल हो गये हैं. रिजल्ट इतना खराब हुआ है कि स्वास्थ्य विभाग रिजल्ट प्रकाशित करने को लेकर उलझन में है. उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो चुका, केवल टेबुलेशन की प्रक्रिया बाकी है. सूत्रों का कहना है कि मूल्यांकन के लिए नियुक्त सेंटर इंचार्ज ने स्वास्थ्य विभाग को खराब रिजल्ट की सूचना दे दी है. साथ ही यह भी बताया है कि फेल होनेवाले अधिकांश विद्यार्थियों को न्यूनतम पांच और अधिकतम 15 नंबर मिले हैं.

जानकारी के अनुसार, राज्य के विभिन्न फार्मेसी कॉलेज से इस साल करीब 5,000 विद्यार्थियों ने डिप्लोमा इन फार्मेसी की परीक्षा दी थी. इनमें से 4,000 से ज्यादा विद्यार्थी फेल हो गये. जानकार इसे स्वास्थ्य विभाग की सख्ती का नतीजा बता रहे हैं. दरअसल, इस साल की परीक्षा फार्मेसी काउंसिल की जगह स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में हुई थी. प्रश्नपत्र तैयार करने और सेंटर तय करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग ने अपने हाथ में ले रखी थी. फार्मेसी काउंसिल तक को भनक नहीं लगी कि किस फार्मेसी कॉलेज का सेंटर कहां पड़ने वाला है.

परीक्षा से दो घंटे पहले छपता था प्रश्नपत्र

पारदर्शी और कदाचारमुक्त परीक्षा के लिए प्रश्नपत्रों की छपाई परीक्षा से मात्र दो घंटे पहले की जाती थी. प्रश्नपत्र भी चार प्रकार के तैयार किये गये. कौन सा प्रश्नपत्र वितरित होगा, इसकी जानकारी भी किसी को नहीं होती थी. प्रश्नपत्र छपने के बाद उसे सेंटर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मजिस्ट्रेट की थी. वह प्रश्नपत्र छपने के बाद समय से आधा घंटे पहले उसके लेकर सेंटर पर पहुंचते थे.

विशेष उत्तर पुस्तिका इस साल तैयार की गयी थी

इस साल उत्तर पुस्तिका को विशेष रूप से तैयार किया गया था. पहले पन्ने पर विद्यार्थी का नाम और बार कोड था. वहीं, दूसरे पन्ने पर सिर्फ बार कोड था. परीक्षा संपन्न हाेने के बाद पहले पन्ना को फाड़ कर अलग कर दिया गया था. कॉपी की जांच करनेवाले सेंटर पर सिर्फ बार कोड लगी कॉपी भेजी गयी. कॉपी जांचनेवाले को भी पता नहीं होता था कि वह किस कॉलेज के किस वविद्यार्थी की कॉपी जांच रहा है.

वर्ष 2020 में आयोजित परीक्षा में हुई भारी गड़बड़ी

वर्ष 2020 में डी-फार्मा की परीक्षा में भारी गड़बड़ी हुई थी. उसमें अधिकांश विद्यार्थी पास हो गये थे. परीक्षक व पर्यवेक्षक ने फार्मेसी परीक्षा समिति से लिखित शिकायत की थी कि एक ही कॉपी में तीन अलग-अलग लिखावट मिली हैं. इसलिए रिजल्ट प्रकाशित नहीं की जाये. हालांकि, इसे दरकिनार कर रिजल्ट जारी कर दिया गया. ‘प्रभात खबर’ ने सात दिसंबर 2022 के अंक में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी.

वर्ष 2022 में करीब 5000 विद्यार्थियों ने दी थी डी-फार्मा की परीक्षा, 4000 से ज्यादा विद्यार्थी हुए हैं फेल

पहले फार्मेसी काउंसिल लेता था परीक्षा, इस साल स्वास्थ्य विभाग ने तैयार कराये प्रश्नपत्र, तय किये सेंटर

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel