10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल, 58% डॉक्टर और 87% नर्स की कमी, इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा

झारखंड के जिला अस्पतालों में मैनपावर की भारी कमी है, डॉक्टरों की 58 प्रतिशत, नर्सों की 87 प्रतिशत तक की कमी है. नेशनल हेल्थ मिशन के तहत मिली राशि में से भी 42-60 प्रतिशत तक खर्च की गयी है.

रांची : राज्य के जिला अस्पतालों में जरूरत के मुकाबले स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है. डॉक्टरों की 58 प्रतिशत, नर्सों की 87 प्रतिशत और पारा मेडिकल स्टाफ की 76 प्रतिशत तक की कमी है. वहीं, 11 से 22 प्रतिशत तक आवश्यक दवाइयां ही उपलब्ध हैं. पांच वर्षों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गयी राशि का औसतन 70 प्रतिशत ही खर्च हो सका है.

नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत मिली राशि में से भी 42-60 प्रतिशत तक खर्च की गयी है. रांची में 12 साल बाद भी 500 बेड के अस्पताल का संचालन पूरा शुरू नहीं हो सका है. भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक(सीएजी) की रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि विभाग ने जिला अस्पतालों में सुविधाओं को लिए कोई मापदंड नहीं बनाया है.

जिला अस्पतालों से जुड़े पहलुओं का पेश किया खाका : राज्य के जिला अस्पतालों से संबंधित सीएजी की विशेष रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश की गयी. इस रिपोर्ट में वर्ष 2014-2019 तक जिला अस्पतालों से नागरिकों को मिलनेवाली स्वास्थ्य सुविधाओं का उल्लेख किया गया है.

रिपोर्ट में बाहरी मरीजों, अस्पताल में भर्ती मरीजों, मैटरनिटी सर्विस, डॉयग्नॉस्टिक सर्विस, इंफेक्शन कंट्रोल और ड्रग मैनेजमेंट से जुड़े पहलू शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिला अस्पतालों में 19-58 प्रतिशत तक विभिन्न स्तर के डॉक्टरों की कमी है. 43 से 77 प्रतिशत तक पारा मेडिकल स्टाफ और 11 से 87 प्रतिशत तक नर्सों की कमी है.

मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा :

जिला अस्पतालों में आउटडोर पेशेंट का दवाब लगाता बढ़ता जा रहा है. 2018-19 में 2014-15 के मुकाबले आउटडोर का दबाव 57 प्रतिशत बढ़ा. जेनरल मेडिसिन ओपीडी में एक- एक डॉक्टर पर 79 से 325 मरीजों को देखने की जिम्मेवारी है. गाइनी में यह 30 से 194 तक और बच्चों के ओपीडी में 20 से 118 मरीजों का दबाव बढ़ा है.

जिला अस्पतालों में पैथोलॉजी और रेडियोलॉडी जांच की सुविधा कम है. उपकरणों को चलानेवाले तकनीकी कर्मचारियों की भी कमी है. देवघर, हजारीबाग और पलामू में डॉक्टरी सलाह के बिना ही अस्पताल छोड़नेवाले मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है. पांच जिला अस्पतालों में ऑरपेशन थिएटर और इमरजेंसी सेवा उपलब्ध नहीं है.

सिर्फ नौ जिला अस्पतालों में आइसीयू की सुविधा :

रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में सिर्फ नौ जिला अस्पतालों में आइसीयू की सुविधा उपलब्ध है. आइसीयू में भी आवश्यकता के मुकाबले कई सुविधाएं नहीं हैं. कुछ जिला अस्पतालों के आइसीयू में दवाइयां सहित अन्य चीजें रखी गयी हैं. आइसीयू में 14 प्रकार की आवश्यक दवाइयों का होना जरूरी है. हालांकि ऑडिट में देवघर के आइसीयू में छह आवश्यक दवाइयां नहीं पायी गयीं.

सिर्फ हजारीबाग में दुर्घटना और ट्रॉमा वार्ड की सुविधा :

ऑडिट के दौरान छह जिलों (हजारीबाग,देवघर, पूर्वी सिंहभूम, पलामू,रांची व रामगढ़) में दुर्घटना और ट्रॉमा केयर की सुविधाओं की जांच की गयी. सिर्फ हजारीबाग में ही दुर्घटना और ट्रॉमा वार्ड की सुविधा मिली. देवघर, पूर्वी सिंहभूम, पलामू और रांची में ट्रॉमा के मरीज का इलाज इमरजेंसी वार्ड में किया जाता है.

रामगढ़ में तो ड्रेसिंग रूम में ट्रॉमा के मरीजों का इलाज किया जाता है. राज्य के पांच जिला अस्पतालों में ऑरपेशन थिएटर और इमरजेंसी सेवा उपलब्ध नहीं हैं. ऑडिट में सिर्फ पूर्वी सिंहभूम के जिला अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन से संबंधित विस्तृत ब्योरा पाया गया. राजधानी रांची और हजारीबाग के जिला अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन की प्रक्रिया का ब्योरा आंशिक रूप से उपलब्ध है. राज्य के तीन जिला अस्पतालों ( देवघर,पलामू,रामगढ़) के आपरेशन थिएटर में ऑपरेशन से संबंधित कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है.

जिला अस्पतालों के मैटरनिटी सेंटर में भी पूरी सुविधा नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के जिला अस्पतालों के मैटरनिटी सेंटर में पूरी सुविधाएं भी नहीं हैं. मैटरनिटी सेंटर में भी दवाइयों की कमी है. वर्ष 2014-19 तक की अवधि में निबंधित गर्भवती महिलाओं में से 60 प्रतिशत को टेटनस का पहला इंजेक्शन नहीं मिला. वर्ष 2016-19 की अवधि में जननी सुरक्षा योजना से संबंधित 362 मामलों की जांच की गयी.

इसमें पाया गया कि 310 महिलाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिला. 97 महिलाओं को इस योजना का लाभ छह महीने के बाद दिया गया. झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड(जेएमएचआइडीपीसीएल)ने राज्य से मिली राशि के 88 प्रतिशत का इस्तेमाल नहीं किया.

राज्य बजट व खर्च (करोड़ में)

वित्तीय वर्ष आवंटन खर्च

2014-15 2708.66 1608.50

2015-16 3303.85 2158.50

2016-17 3397.71 2468.93

2017-18 4044.15 2847.18

2018-19 4349.89 3382.55

Posted By: Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें