रांची. ज्यूडिशियल एकेडमी रांची में रविवार को साइबर अपराध मामलों के त्वरित और गुणात्मक निपटान : मुद्दे, चुनौतियों व समाधान विषय पर राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें हाइकोर्ट के न्यायाधीश, जिला जज, लोक अभियोजक, पुलिस अधिकारियों और बैंक के अधिकारियों ने हिस्सा लिया. सम्मेलन में साइबर अपराधों की बढ़ती जटिलताओं और कानूनी प्रक्रियाओं पर चर्चा की गयी. जस्टिस संजय प्रसाद ने डिजिटल युग में साइबर अपराध के बढ़ते खतरों और कानूनी एवं जांच तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही साइबर अपराध मामले : मुद्दे, चुनौतियां और समाधान नामक एक पुस्तक का विमोचन भी किया. तीन तकनीकी सत्रों में साइबर अपराध की जांच, अभियोजन और न्यायिक निर्णय की विभिन्न जटिलताओं पर चर्चा की गयी. पहले सत्र में दिल्ली पुलिस के बी शंकर जायसवाल व सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता एनएस निप्पनै ने साइबर स्टॉकिंग, डीपफेक, बैंकिंग धोखाधड़ी और साइबर अपराधों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका जैसे प्रमुख मुद्दों पर जानकारी दी. दूसरे सत्र में सप्तंग लैब्स चेन्नई के सीइओ बीवीएस साइकृष्ण ने साइबर अपराध जांच में क्षेत्राधिकार की चुनौतियां, साइबर फॉरेंसिक विधियां और सफल अभियोजन के केस स्टडीज पर चर्चा की. इसके अलावा, साइबर साक्ष्यों की प्रामाणिकता, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जब्ती और तलाशी की जटिलताओं पर प्रकाश डाला. डार्क वेब और क्लाउड कंप्यूटिंग से उत्पन्न खतरों पर भी चर्चा की. तीसरे सत्र से एनएलएसआइयू बेंगलुरु के एसोसिएट डॉ ए नागरत्ना ने डिजिटल साक्ष्यों की कानूनी स्वीकार्यता, चेन ऑफ कस्टडी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की.
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