रांची. झारखंड के मवेशियों की नस्ल सुधार के लिए बड़ी पहल की गयी है. नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के तकनीकी सहयोग से मेधा डेयरी इस पर काम कर रही है. इसके तहत 19 माह में लगभग 1,00,411 पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान कराया गया है. इनमें 95618 गाय और 4793 भैंस शामिल हैं. कृत्रिम गर्भाधान से अब तक झारखंड में 7962 बछड़ा-बछड़ी जन्मे हैं, जिनमें 4299 बछड़ी हैं. इसके लिए राज्य के 12 जिलों में अब तक 618 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र खोले जा चुके हैं.
उच्च अनुवांशिक गुणवत्ता वाला सीमेन किया जा रहा प्रयोग
इस कार्यक्रम में एनडीडीबी उच्च अनुवांशिक गुणवत्ता वाले सीमेन का प्रयोग कर रही है. इसमें सुपीरियर एनिमल जेनेटिक (एसएजी) ब्रांड का सीमेन इस्तेमाल हो रहा है, जो भारत का नंबर वन सीमेन ब्रांड है. सीमेन को एनडीडीबी के उत्तर प्रदेश के सलोन स्थित एनिमल ब्रीडिंग सेंटर से मंगाया जा रहा है. झारखंड की प्रजनन नीति को ध्यान में रखते हुए एचएफ क्रॉस, जर्सी क्रॉस, साहिवाल, गिर, रेड सिंधी, थारपारकर और मुर्रा नस्ल के सांडों का सीमेन प्रयोग किया जा रहा है.
पशुपालकों के घर जाकर कराया जा रहा गर्भाधान
योजना के तहत प्रशिक्षित युवक-युवतियों द्वारा पशुपालकों के घर जाकर कृत्रिम गर्भाधान कराया जा रहा है. इन्हें मोबाइल आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन टेक्नीशियन (मेट) कहा जाता है. वर्तमान में यह कार्यक्रम रांची, हजारीबाग, देवघर, गोड्डा, दुमका, साहेबगंज, लोहरदगा, लातेहार, पलामू, चतरा, गढ़वा और गुमला जिलों में चलाया जा रहा है. पशुओं को टैग लगाकर गर्भाधान की सुविधा दी जा रही है. यह टैग पशु के लिए आधार की तरह कार्य करता है और अनिवार्य है.
कोई भी जुड़ सकता है
कृत्रिम गर्भाधानकर्ता के रूप में काम करने के लिए कोई भी 10वीं पास युवक या युवती जुड़ सकते हैं. इसके लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए. इच्छुक व्यक्ति झारखंड मिल्क फेडरेशन (जेएमएफ ) में आवेदन देकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.
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