उषा मार्टिन में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण पर कार्यशाला, शिक्षकों की भूमिका को किया प्रोत्साहित
रांची. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को हिंदी के साथ अंग्रेजी भाषा का ज्ञान दिया जाना चाहिए. भाषा के साथ व्याकरण की भी पढ़ाई हो ताकि प्रतियोगिता परीक्षा में ग्रामीण बच्चों को असहज नहीं होना पड़े. सामान्यतः भाषा पर पकड़ नहीं होने के कारण ग्रामीण बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि कम होने लगती है. उक्त बातें लेखक और शिक्षाविद डाॅ रविदत्त वाजपेयी ने कहीं. वह शुक्रवार को उषा मार्टिन फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे. फाउंडेशन की ओर से गुणवत्तापूर्ण शिक्षण में शिक्षकों की भूमिका पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था. डाॅ रविदत्त ने कहा कि विद्यालय में जो अच्छे छात्र हो उनको प्रोत्साहित करने के बदले कमजोर को आगे आने के लिए प्रेरित करना चाहिए. इसमें शिक्षकों की अहम भूमिका है. आखिर एक शिक्षक के कारण ही अंबेडकर, शास्त्री और राजेंद्र प्रसाद जैसे लोग अपनी प्रतिभा को निखार पाए. भाषा पर जोर के साथ, शब्दकोष का उपयोग, पाराग्राफ लेक्चर और विज्ञान के विषयों की शब्दावली को अंग्रेजी में प्रयोग करने से ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र भी बेहतर हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ खेलकूद, बेसिक गणित और बेहतर नागरिक निर्माण का ज्ञान भी दिया जाना चाहिए. शिक्षक को भी कुछ समय पढ़ाई पर देना चाहिए. फाउंडेशन के हेड डाॅ मयंक मुरारी ने कहा कि ग्रामीण बच्चों में प्रायोगिक शिक्षा बढ़ाने की जरूरत है. उनमें रचनात्मकता का विकास हो, इसके लिए संगीत, नृत्य, पेंटिंग के अलावा भाषण व लेखन प्रतियोगिता का आयोजन समय-समय पर हो. आधुनिक शिक्षा में तकनीक का उपयोग भी जरूरी है ताकि वे प्रतियोगिता में कमतर नहीं रहे. इस कार्यशाला में लगभग 30 से 35 शिक्षकों ने भाग लिया. इसमें गुरुकुल स्कूल, मासू स्कूल, महिलौंग स्कूल, आरा स्कूल, स्वर्णरेखा स्कूल, एकल विद्यालय, चिलदाग स्कूल, हेसल स्कूल तथा टाटीसिलवे हाई एवं मिडिल स्कूल के शिक्षक शामिल हुए. गौरतलब है कि डॉ रवि दत्त वाजपेयी स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के ग्लोबल स्टडीज में प्रोफेसर रहे हैं. इन्होंने राजनीति और इतिहास पर कई किताबें लिखी हैं. वर्तमान में वे सेंत जेवियर्स काॅलेज में प्रोफेसर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

